Difference between revisions of "पृथ्वी दिवस"

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पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में 22 अप्रॅल को मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन 1970 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था। पृथ्वी पर अक्सर उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ का कई किलोमीटर तक पिघलना, सूर्य की पराबैगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत में छेद होना, भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना, जो भी हो रहा है इन सबके लिए मनुष्य ही ज़िम्मेदार हैं। ग्लोबल वार्मिग के रूप में जो आज
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पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में [[22 अप्रॅल]] को मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन [[1970]] में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था। [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] पर अक्सर उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ़ का कई किलोमीटर तक पिघलना, [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत में छेद होना, भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना, जो भी हो रहा है इन सबके लिए मनुष्य ही ज़िम्मेदार हैं। ग्लोबल वार्मिग के रूप में जो आज
 
हमारे सामने हैं। ये आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। जीव-जन्तु अंधे हो जाएंगे। लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी और कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाएगी। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाके चपेट में आ जाएंगे।  
 
हमारे सामने हैं। ये आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। जीव-जन्तु अंधे हो जाएंगे। लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी और कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाएगी। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाके चपेट में आ जाएंगे।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की स्थापना सन 1970 में अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी, और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु का मौसम है। संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को हर साल मार्च एक्विनोक्स (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह दिन अक्सर 20 मार्च का दिन होता है, यह एक परम्परा है जिसकी स्थापना शांति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल के द्वारा की गयी थी।
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पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की स्थापना सन 1970 में अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी, और इसे कई देशों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु का मौसम है। संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को हर साल [[मार्च]] एक्विनोक्स (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह दिन अक्सर [[20 मार्च]] का दिन होता है, यह एक परम्परा है जिसकी स्थापना शांति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल के द्वारा की गयी थी।
====सीनेटर जेराल्ड नेल्सन की घोषणा====  
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====<u>सीनेटर जेराल्ड नेल्सन की घोषणा</u>====  
सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में सितम्बर 1969 में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा यह घोषणा की गई कि 1970 ई. की वसंत ऋतु में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। पर्यावरण को एक राष्ट्रीय एजेंडा में जोड़ने के लिए सीनेटर नेल्सन ने पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दी।
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सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में [[सितम्बर]], [[1969]] में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा यह घोषणा की गई कि 1970 ई. की बसंत ऋतु में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। पर्यावरण को एक राष्ट्रीय एजेंडा में जोड़ने के लिए सीनेटर नेल्सन ने पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दी।
====एड्डी अलबर्ट====
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====<u>एड्डी अलबर्ट</u>====
मशहूर फिल्म और टेलिविज़न अभिनेता एड्डी अलबर्ट ने पृथ्वी दिवस के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। पृथ्वी दिवस के निर्माण के लिए अलबर्ट ने प्राथमिक और महत्वपूर्ण कार्य किये, जिसे उसने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल के दौरान प्रबल समर्थन दिया, 1970 के बाद विशेष रूप से एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी दिवस को अलबर्ट के जन्मदिन 22 अप्रैल को मनाया जाने लगा। एक स्रोत के अनुसार यह गलत भी हो सकता है।  
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मशहूर फ़िल्म और टेलीविजन अभिनेता एड्डी अलबर्ट ने पृथ्वी दिवस के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। पृथ्वी दिवस के निर्माण के लिए अलबर्ट ने प्राथमिक और महत्वपूर्ण कार्य किये, जिसे उसने अपने सम्पूर्ण कार्यकाल के दौरान प्रबल समर्थन दिया, 1970 के बाद विशेष रूप से एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी दिवस को अलबर्ट के जन्मदिन 22 अप्रैल को मनाया जाने लगा। एक स्रोत के अनुसार यह गलत भी हो सकता है।  
==पारिस्थितिकीय ध्वज का निर्माण==
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==पारिस्थितिक ध्वज का निर्माण==
पूरे विश्व के ध्वजों के अनुसार, कार्टूनिस्ट रोन कोब्ब के द्वारा पारिस्थितिक ध्वज का निर्माण किया गया। इस ध्वज को 7 नवम्बर, 1969 को लोस एंजेलेस फ्री प्रेस में प्रकाशित किया गया, फिर इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया। यह प्रतीक "E" व "O" अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था, जिन्हें क्रमशः "वातावरण" व "जीव" शब्दों से लिया गया था। इस झंडे का प्रतिरूप संयुक्त राज्य अमेरिकी ध्वज से लिया गया था और इसमें एक के बाद एक तेरह हरी और सफ़ेद धारियां थीं।
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पूरे विश्व के ध्वजों के अनुसार, कार्टूनिस्ट रोन कोब्ब के द्वारा पारिस्थितिक ध्वज का निर्माण किया गया। इस ध्वज को [[7 नवम्बर]], 1969 को लोस एंजेलेस फ्री प्रेस में प्रकाशित किया गया, फिर इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया। यह प्रतीक "E" व "O" अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था, जिन्हें क्रमशः "वातावरण" व "जीव" शब्दों से लिया गया था। इस ध्वज का प्रतिरूप संयुक्त राज्य अमेरिकी ध्वज से लिया गया था और इसमें एक के बाद एक तेरह [[हरा रंग|हरी]] और [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] धारियाँ थीं। इसकी केंटन हरी थी और इसमें [[पीला रंग|पीला]] थीटा था। बाद के ध्वजों में थीटा का उपयोग ऐतिहासिक रूप से या तो एक चेतावनी के प्रतीक के रूप में या शांति के प्रतीक के रूप में किया गया। थीटा बाद में पृथ्वी दिवस से सम्बंधित हो गया।
इसकी केंटन हरी थी और इसमें पीला थीटा था। बाद के ध्वजों में थीटा का उपयोग ऐतिहासिक रूप से या तो एक चेतावनी के प्रतीक के रूप में या शांति के प्रतीक के रूप में किया गया। थीटा बाद में पृथ्वी दिवस से सम्बंधित हो गया।
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==पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना==
==डेनिस हायस द्वारा पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना==
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पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना 1970 में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण नागरिकता और साल भर उन्नति को बढ़ावा देने के लिए पृथ्वी दिवस के आयोजकों और डेनिस हायस के द्वारा की गयी थी। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से, कार्यकर्ता, राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में परिवर्तनों को आपस में जोड़ सकते हैं। अन्तराष्ट्रीय नेटवर्क 174 देशों में 17,000 संस्थानों तक पहुँच गया है, जबकि घरेलू कार्यक्रमों में 5,000 समूह और 25,000 से अधिक शिक्षक शामिल हैं, जो साल भर कई मिलियन समुदायों के विकास और पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्ताओं की मदद करते हैं।
पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना 1970 में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण नागरिकता और साल भर उन्नति को बढ़ावा देने के लिए पहले पृथ्वी दिवस के आयोजकों के द्वारा की गयी थी। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से, कार्यकर्ता, राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में परिवर्तनों को आपस में जोड़ सकते हैं। अन्तराष्ट्रीय नेटवर्क 174 देशों में 17,000 संस्थानों तक पहुँच गया है, जबकि घरेलू कार्यक्रमों में 5,000 समूह और 25,000 से अधिक शिक्षक शामिल हैं, जो साल भर कई मिलियन समुदायों के विकास और पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्ताओं की मदद करते हैं।
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====<u>डेनिस हायस</u>====
डेनिस हायस को आम व्यक्ति की तरह बचपन से प्रकृति से काफी लगाव रहा है। लेकिन उनके जीवन की एक घटना ने उन्हें 'हीरों ऑफ़ द प्लेनेट' बना दिया। उनके घर के सामने एक पेपर मिल हुआ करती थी। चिमनी से उठते काले धुएं से वे विचलित नहीं हुए। पर जब उन्हें यह पता चला कि वृक्षों से उन्हें गहरा लगाव है, उन्हें कागज निर्माण में जलना पड़ता है तो इससे वे काफी आहत हुए। उसके बाद उन्होंने प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाले ऐसे कामों का विरोध करना शुरू कर दिया। हालांकि उसी मिल में उनके पिता भी कार्यरत थे। पर्यावरण के प्रति उनका लगाव बहुत गहरा हो चुका था। वे प्रदूषण के खिलाफ लड़ने वाले पर्यावरणविद ही नहीं, बल्कि आंदोलनकारी बन चुके थे। उनकी बातों, भाषणों में इतना दम था कि भीड़ को इकट्ठा करके किसी बड़ी मुहिम को अंजाम से सकते थे। उन्होंने इसकी शुरुआत की अपने ही कॉलेज कैंपस से। तकबरीन 1000 स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित हथियार रिसर्च लैब को समाप्त करने का आदोंलन छेड़ा।
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डेनिस हायस को आम व्यक्ति की तरह बचपन से प्रकृति से काफ़ी लगाव रहा है। लेकिन उनके जीवन की एक घटना ने उन्हें 'हीरों ऑफ़ द प्लेनेट' बना दिया। उनके घर के सामने एक पेपर मिल हुआ करती थी। चिमनी से उठते काले धुएँ से वे विचलित नहीं हुए। पर जब उन्हें यह पता चला कि वृक्षों से उन्हें गहरा लगाव है, उन्हें [[काग़ज़]] निर्माण में जलना पड़ता है तो इससे वे काफ़ी आहत हुए। उसके बाद उन्होंने प्रकृति को क्षति पहुँचाने वाले ऐसे कामों का विरोध करना शुरू कर दिया। हालांकि उसी मिल में उनके पिता भी कार्यरत थे। पर्यावरण के प्रति उनका लगाव बहुत गहरा हो चुका था। वे प्रदूषण के खिलाफ़ लड़ने वाले पर्यावरणविद ही नहीं, बल्कि आंदोलनकारी बन चुके थे। उनकी बातों, भाषणों में इतना दम था कि भीड़ को इकट्ठा करके किसी बड़ी मुहिम को अंजाम दे सकते थे। उन्होंने इसकी शुरुआत अपने ही कॉलेज कैंपस से की। तकबरीन 1000 स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी स्थित हथियार रिसर्च लैब को समाप्त करने का आदोंलन छेड़ा।
 
 
इस बात की खबर जब अमेरिकी सरकार को लगी, तो उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया। इसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। अमेरिकी सरकार ने पर्यावरण मुद्दों पर मुहिम छेड़ने के लिए उन्हें अपने यहाँ बुला लिया। इस समय तक डेनिस कॉलेज छोड़कर रैली आयोजित करने और पर्यावरण बचाओ मुहिम में पूरे मनोयोग से जुट गए। अमेरिकी सिनेट ने उन्हें पहले पृथ्वी दिवस को संयोजित करने के लिए आमंत्रित किया। उल्लेखनीय है कि पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक बड़ा आयोजन था। इसे व्यापक जनसमर्थन मिला।
 
===='अर्थ डेज'====
 
इस आंदोलन के रोमांच को वर्ष 2009 में प्रदर्शित होने वाली फिल्म 'अर्थ डेज' में भी बयां किया गया है। अपनी कामयाबी और उसकी जबरदस्त लोकप्रियता को देखकर हायस का उत्साह दोगुना हो गया।
 
इससे प्रेरित होकर उन्होंने अर्थ डे नेटवर्क की स्थापना की। तकरीबन 180 देशों में इसका जाल फैला है। और इसके अध्यक्ष है डेनिस हायस। टाइम मैगनीज ने उनकी प्रतिबद्धता को देखकर उन्हें एक नया नाम दिया- हीरो ऑफ़ द प्लेनेट।
 
 
 
  
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इस बात की खबर जब अमेरिकी सरकार को लगी, तो उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया। इसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। अमेरिकी सरकार ने पर्यावरण मुद्दों पर मुहिम छेड़ने के लिए उन्हें अपने यहाँ बुला लिया। इस समय तक डेनिस कॉलेज छोड़कर रैली आयोजित करने और पर्यावरण बचाओ मुहिम में पूरे मनोयोग से जुट गए। अमेरिकी सिनेट ने उन्हें पहले पृथ्वी दिवस को संयोजित करने के लिए आमंत्रित किया। उल्लेखनीय है कि पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक बड़ा आयोजन था। इसे व्यापक जनसमर्थन मिला। इस आंदोलन के रोमांच को वर्ष [[2009]] में प्रदर्शित होने वाली फिल्म 'अर्थ डेज' में भी बयां किया गया है। अपनी कामयाबी और उसकी जबरदस्त लोकप्रियता को देखकर हायस का उत्साह दोगुना हो गया।
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इससे प्रेरित होकर उन्होंने अर्थ डे नेटवर्क की स्थापना की। तकरीबन 180 देशों में इसका जाल फैला है। इसके अध्यक्ष डेनिस हायस है। टाइम मैगनीज ने उनकी प्रतिबद्धता को देखकर उन्हें एक नया नाम दिया- 'हीरो ऑफ़ द प्लेनेट'।
 
==पृथ्वी का खोता प्राकृतिक रूप==
 
==पृथ्वी का खोता प्राकृतिक रूप==
प्रदूषित वातावरण के कारण पृथ्वी अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। पृथ्वी के सौंदर्य को जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर व बेतरतीब फैले कचरे नष्ट कर दिया है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेज़ी से वृध्दि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा विकराल होती जा रही है। ठोस अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निपटान के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है। इन पदार्थों में वृद्धि के निपटान की समस्या न केवल औद्योगिक स्तर पर अत्यंत विकसित देशों के लिए ही नहीं बल्कि कई विकासशील देशों की भी है।
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प्रदूषित वातावरण के कारण पृथ्वी अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। पृथ्वी के सौंदर्य को जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर व बेतरतीब फैले कचरे ने नष्ट कर दिया है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेज़ी से वृद्धि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा विकराल होती जा रही है। ठोस अपशिष्ट पदार्थों के समुचित निपटान के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है। इन पदार्थों में वृद्धि के निपटान की समस्या औद्योगिक स्तर पर अत्यंत विकसित देशों के लिए ही नहीं बल्कि कई विकासशील देशों की भी है।
 
;उदाहरण
 
;उदाहरण
 
*न्यूयार्क में प्रतिदिन 2500 ट्रक भार के बराबर ठोस अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन होता है, यहाँ प्रतिदिन 25,000 टन ठोस कचरा निकलता है।  
 
*न्यूयार्क में प्रतिदिन 2500 ट्रक भार के बराबर ठोस अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन होता है, यहाँ प्रतिदिन 25,000 टन ठोस कचरा निकलता है।  
 
==पॉलीथिन का दुष्प्रभाव==
 
==पॉलीथिन का दुष्प्रभाव==
पर्यावरण को सबसे अधिक आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने ही चोट पहुंचाई है। मनुष्यों की सुविधा के लिए बनाई गयी पॉलीथीन सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। भूमि की उर्वरक क्षमता को यह नष्ट न होने के कारण खत्म कर रही हैं। इनको जलाने से निकलने वाला धुआँ ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है जो जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी पॉलीथीन के कचरे से मर रहे हैं। इससे लोगों में कई प्रकार की बीमारियां फैल रही हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाईऑक्सीन्स जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।  
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पर्यावरण को सबसे अधिक आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने ही चोट पहुँचाई है। मनुष्यों की सुविधा के लिए बनाई गयी पॉलीथीन सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। भूमि की उर्वरक क्षमता को यह नष्ट न होने के कारण खत्म कर रही है। इनको जलाने से निकलने वाला धुआँ ओजोन परत को भी नुकसान पहुँचाता है जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी पॉलीथीन के कचरे से मर रहे हैं। इससे लोगों में कई प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाईऑक्सीन्स जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियाँ होने की आशंका बढ़ जाती है।  
  
पॉलीथिन का इस्तेमाल करके हम न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है, बल्कि गंभीर रोगों को भी न्यौता दे रहे है। पॉलीथिन को ऐसे ही फेंक देने से नालियां जाम हो जाती हैं। इससे गंदा पानी सड़कों पर फैलकर मच्छरों का घर बनता है. इस प्रकार यह कालरा, टाइफाइड, डायरिया व हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बनते है.
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पॉलीथिन का इस्तेमाल करके हम न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, बल्कि गंभीर रोगों को भी न्यौता दे रहे हैं। पॉलीथिन को ऐसे ही फेंक देने से नालियाँ जाम हो जाती हैं। इससे गंदा पानी सड़कों पर फैलकर मच्छरों का घर बनता है. इस प्रकार यह कालरा, टाइफाइड, डायरिया व हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बनते हैं।
 
====भारत में प्रतिवर्ष पॉलीथिन का उपयोग====
 
====भारत में प्रतिवर्ष पॉलीथिन का उपयोग====
भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइकिलिंग हो पाती है। यह अनुमान है कि भोजन के धोखे में इन्हें खा लेने के कारण प्रतिवर्ष 1,00,000 समुद्री जीवों की मौत हो जाती है। जमीन में गाड़ देने पर पॉलीथिन थैले अपने अवयवों में टूटने में 1,000 साल से अधिक ले लेती है। यह पूर्ण रूप से तो कभी नष्ट होते ही नहीं हैं. जिन पॉलीथिन के थैलों पर बायोडिग्रेडेबल लिखा होता है, वे भी पूर्णतया इकोफ्रेंडली नहीं होते है।
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[[भारत]] में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइकिलिंग हो पाती है। यह अनुमान है कि भोजन के धोखे में इन्हें खा लेने के कारण प्रतिवर्ष 1,00,000 समुद्री जीवों की मौत हो जाती है। जमीन में गाड़ देने पर पॉलीथिन के थैले अपने अवयवों में टूटने में 1,000 साल से अधिक ले लेते हैं। यह पूर्ण रूप से तो कभी नष्ट होते ही नहीं हैं। जिन पॉलीथिन के थैलों पर बायोडिग्रेडेबल लिखा होता है, वे भी पूर्णतया इकोफ्रेंडली नहीं होते हैं।
*इस समय विश्व में प्रतिवर्ष प्लास्टिक का उत्पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें प्रतिवर्ष उसे 4 प्रतिशत की वृध्दि हो रही है।  
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*इस समय विश्व में प्रतिवर्ष प्लास्टिक का उत्पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें प्रतिवर्ष उसे 4 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है।  
*भारत में भी प्लास्टिक का उत्पादन व उपयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। औसतन प्रत्येक भारतीय के पास प्रतिवर्ष आधा किलो प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा हो जाता है. इसका अधिकांश भाग कूड़े के ढेर पर और इधर-उधर बिखर कर पर्यावरण प्रदूषण फैलाता है.
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*भारत में भी प्लास्टिक का उत्पादन व उपयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। औसतन प्रत्येक भारतीय के पास प्रतिवर्ष आधा किलो प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। इसका अधिकांश भाग कूड़े के ढेर पर और इधर-उधर बिखर कर पर्यावरण प्रदूषण फैलाता है।
*एक अनुमान के अनुसार केवल अमेरिका में ही एक करोड़ किलोग्राम प्लास्टिक प्रत्येक वर्ष कूड़ेदानों में पहुंचता है.
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*एक अनुमान के अनुसार केवल [[अमेरिका]] में ही एक करोड़ किलोग्राम प्लास्टिक प्रत्येक वर्ष कूड़ेदानों में पहुँचता है।
*इटली में प्लास्टिक के थैलों की सालाना खपत एक खरब है. इटली आज सर्वाधिक प्लास्टिक उत्पादक देशों में से एक है.
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*[[इटली]] में प्लास्टिक के थैलों की सालाना खपत एक खरब है। इटली आज सर्वाधिक प्लास्टिक उत्पादक देशों में से एक है।
  
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
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==संबंधित लेख==
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{{अंतर्राष्ट्रीय विश्व दिवस}}
 
[[Category:नया पन्ना]]
 
[[Category:नया पन्ना]]
 
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Revision as of 08:10, 22 April 2011

prithvi divas poore vishv mean 22 aprॅl ko manaya jata hai. prithvi divas ko pahali bar san 1970 mean manaya gaya tha. isaka uddeshy logoan ko paryavaran ke prati sanvedanashil banana tha. prithvi par aksar uttari dhruv ki thos barf ka kee kilomitar tak pighalana, soory ki parabaiangani kiranoan ko prithvi tak ane se rokane vali ojon parat mean chhed hona, bhayankar toophan, sunami aur bhi kee prakritik apadaoan ka hona, jo bhi ho raha hai in sabake lie manushy hi zimmedar haian. global varmig ke roop mean jo aj hamare samane haian. ye apadaean prithvi par aise hi hoti rahian to vah din door nahian jab prithvi se jiv-jantu v vanaspati ka astiv hi samapt ho jaega. jiv-jantu aandhe ho jaeange. logoan ki tvacha jhulasane lagegi aur kaiansar rogiyoan ki sankhya badh jaegi. samudr ka jalastar badhane se tatavarti ilake chapet mean a jaeange.

itihas

prithvi ke paryavaran ke bare mean prashansa aur jagarookata ko prerit karane ke lie prithvi divas manaya jata hai. prithvi divas ki sthapana san 1970 mean ameriki sinetar jerald nelsan ke dvara ek paryavaran shiksha ke roop mean ki gayi, aur ise kee deshoan mean prativarsh manaya jata hai. prithvi divas ki tarikh uttari golarddh mean basant rritu aur dakshini golarddh mean sharad rritu ka mausam hai. sanyukt rashtr mean prithvi divas ko har sal march ekvinoks (varsh ka vah samay jab din aur rat barabar hote haian) par manaya jata hai, yah din aksar 20 march ka din hota hai, yah ek parampara hai jisaki sthapana shaanti karyakarta j aaun makkonel ke dvara ki gayi thi.

sinetar jerald nelsan ki ghoshana

sietal, vashiangatan mean ek sammalen mean sitambar, 1969 mean viskoansin ke ameriki sinetar jerald nelsan dvara yah ghoshana ki gee ki 1970 ee. ki basant rritu mean paryavaran par rashtravyapi jan sadharan pradarshan kiya jayega. paryavaran ko ek rashtriy ejeanda mean jo dane ke lie sinetar nelsan ne pahale rashtravyapi paryavaran virodh ki prastavana di.

eddi alabart

mashahoor film aur telivijan abhineta eddi alabart ne prithvi divas ke nirman mean ek mahatvapoorn bhoomika nibhayi. prithvi divas ke nirman ke lie alabart ne prathamik aur mahatvapoorn kary kiye, jise usane apane sampoorn karyakal ke dauran prabal samarthan diya, 1970 ke bad vishesh roop se ek riport ke anusar prithvi divas ko alabart ke janmadin 22 aprail ko manaya jane laga. ek srot ke anusar yah galat bhi ho sakata hai.

paristhitik dhvaj ka nirman

poore vishv ke dhvajoan ke anusar, kartoonist ron kobb ke dvara paristhitik dhvaj ka nirman kiya gaya. is dhvaj ko 7 navambar, 1969 ko los eanjeles phri pres mean prakashit kiya gaya, phir ise sarvajanik domen mean rakha gaya. yah pratik "E" v "O" aksharoan ke sanyojan se banaya gaya tha, jinhean kramashah "vatavaran" v "jiv" shabdoan se liya gaya tha. is dhvaj ka pratiroop sanyukt rajy ameriki dhvaj se liya gaya tha aur isamean ek ke bad ek terah hari aur safed dhariyaan thian. isaki keantan hari thi aur isamean pila thita tha. bad ke dhvajoan mean thita ka upayog aitihasik roop se ya to ek chetavani ke pratik ke roop mean ya shaanti ke pratik ke roop mean kiya gaya. thita bad mean prithvi divas se sambandhit ho gaya.

prithvi divas netavark ki sthapana

prithvi divas netavark ki sthapana 1970 mean rashtriy aur aantarrashtriy star par paryavaran nagarikata aur sal bhar unnati ko badhava dene ke lie prithvi divas ke ayojakoan aur denis hayas ke dvara ki gayi thi. prithvi divas ke netavark ke madhyam se, karyakarta, rashtriy, sthaniy aur vaishvik nitiyoan mean parivartanoan ko apas mean jo d sakate haian. antarashtriy netavark 174 deshoan mean 17,000 sansthanoan tak pahuanch gaya hai, jabaki ghareloo karyakramoan mean 5,000 samooh aur 25,000 se adhik shikshak shamil haian, jo sal bhar kee miliyan samudayoan ke vikas aur paryavaran suraksha karyakartaoan ki madad karate haian.

denis hayas

denis hayas ko am vyakti ki tarah bachapan se prakriti se kafi lagav raha hai. lekin unake jivan ki ek ghatana ne unhean 'hiroan aauf d plenet' bana diya. unake ghar ke samane ek pepar mil hua karati thi. chimani se uthate kale dhuean se ve vichalit nahian hue. par jab unhean yah pata chala ki vrikshoan se unhean gahara lagav hai, unhean kagaz nirman mean jalana p data hai to isase ve kafi ahat hue. usake bad unhoanne prakriti ko kshati pahuanchane vale aise kamoan ka virodh karana shuroo kar diya. halaanki usi mil mean unake pita bhi karyarat the. paryavaran ke prati unaka lagav bahut gahara ho chuka tha. ve pradooshan ke khilaf l dane vale paryavaranavid hi nahian, balki aandolanakari ban chuke the. unaki batoan, bhashanoan mean itana dam tha ki bhi d ko ikattha karake kisi b di muhim ko aanjam de sakate the. unhoanne isaki shuruat apane hi k aaulej kaianpas se ki. takabarin 1000 stoodeants ke sath milakar harvard yoonivarsiti sthit hathiyar risarch laib ko samapt karane ka adoanlan chhe da.

is bat ki khabar jab ameriki sarakar ko lagi, to unhoanne unhean protsahan diya. isake bad unaki jiandagi hi badal gee. ameriki sarakar ne paryavaran muddoan par muhim chhe dane ke lie unhean apane yahaan bula liya. is samay tak denis k aaulej chho dakar raili ayojit karane aur paryavaran bachao muhim mean poore manoyog se jut ge. ameriki sinet ne unhean pahale prithvi divas ko sanyojit karane ke lie amantrit kiya. ullekhaniy hai ki pahali bar 22 aprail, 1970 ko manaya jane vala prithvi divas ek b da ayojan tha. ise vyapak janasamarthan mila. is aandolan ke romaanch ko varsh 2009 mean pradarshit hone vali philm 'arth dej' mean bhi bayaan kiya gaya hai. apani kamayabi aur usaki jabaradast lokapriyata ko dekhakar hayas ka utsah doguna ho gaya. isase prerit hokar unhoanne arth de netavark ki sthapana ki. takariban 180 deshoan mean isaka jal phaila hai. isake adhyaksh denis hayas hai. taim maiganij ne unaki pratibaddhata ko dekhakar unhean ek naya nam diya- 'hiro aauf d plenet'.

prithvi ka khota prakritik roop

pradooshit vatavaran ke karan prithvi apana prakritik roop khoti ja rahi hai. prithvi ke sauandary ko jagah-jagah p de koo de ke dher v betaratib phaile kachare ne nasht kar diya hai. paryavaran pradooshan ki samasya vishv mean badhati janasankhya tatha audyogikaran evan shaharikaran mean tezi se vriddhi ke sath-sath thos apashisht padarthoan dvara vikaral hoti ja rahi hai. thos apashisht padarthoan ke samuchit nipatan ke lie paryapt sthan ki avashyakata hoti hai. in padarthoan mean vriddhi ke nipatan ki samasya audyogik star par atyant vikasit deshoan ke lie hi nahian balki kee vikasashil deshoan ki bhi hai.

udaharan
  • nyooyark mean pratidin 2500 trak bhar ke barabar thos apashisht padarthoan ka utpadan hota hai, yahaan pratidin 25,000 tan thos kachara nikalata hai.

p aaulithin ka dushprabhav

paryavaran ko sabase adhik adhunik yug mean suvidhaoan ke vistar ne hi chot pahuanchaee hai. manushyoan ki suvidha ke lie banaee gayi p aaulithin sabase b da siradard ban gee hai. bhoomi ki urvarak kshamata ko yah nasht n hone ke karan khatm kar rahi hai. inako jalane se nikalane vala dhuaan ojon parat ko bhi nukasan pahuanchata hai jo global varmig ka b da karan hai. desh mean prativarsh lakhoan pashu-pakshi p aaulithin ke kachare se mar rahe haian. isase logoan mean kee prakar ki bimariyaan phail rahi haian. isase jamin ki urvara shakti nasht ho rahi hai tatha bhoogarbhiy jalasrot dooshit ho rahe haian. p aaulithin kachara jalane se karban daeeaauksaid, karban monoaauksaid evan daeeaauksins jaisi vishaili gaisean utsarjit hoti haian. inase saans, tvacha adi ki bimariyaan hone ki ashanka badh jati hai.

p aaulithin ka istemal karake ham n sirph paryavaran ko nukasan pahuancha rahe haian, balki ganbhir rogoan ko bhi nyauta de rahe haian. p aaulithin ko aise hi pheank dene se naliyaan jam ho jati haian. isase ganda pani s dakoan par phailakar machchharoan ka ghar banata hai. is prakar yah kalara, taiphaid, dayariya v hepetaitis-bi jaisi ganbhir bimariyoan ka bhi karan banate haian.

bharat mean prativarsh p aaulithin ka upayog

bharat mean prativarsh lagabhag 500 mitrik tan p aaulithin ka nirman hota hai, lekin isake ek pratishat se bhi kam ki risaikiliang ho pati hai. yah anuman hai ki bhojan ke dhokhe mean inhean kha lene ke karan prativarsh 1,00,000 samudri jivoan ki maut ho jati hai. jamin mean ga d dene par p aaulithin ke thaile apane avayavoan mean tootane mean 1,000 sal se adhik le lete haian. yah poorn roop se to kabhi nasht hote hi nahian haian. jin p aaulithin ke thailoan par bayodigredebal likha hota hai, ve bhi poornataya ikophreandali nahian hote haian.

  • is samay vishv mean prativarsh plastik ka utpadan 10 karo d tan ke lagabhag hai aur isamean prativarsh use 4 pratishat ki vriddhi ho rahi hai.
  • bharat mean bhi plastik ka utpadan v upayog b di teji se badh raha hai. ausatan pratyek bharatiy ke pas prativarsh adha kilo plastik apashisht padarth ikattha ho jata hai. isaka adhikaansh bhag koo de ke dher par aur idhar-udhar bikhar kar paryavaran pradooshan phailata hai.
  • ek anuman ke anusar keval amerika mean hi ek karo d kilogram plastik pratyek varsh koo dedanoan mean pahuanchata hai.
  • itali mean plastik ke thailoan ki salana khapat ek kharab hai. itali aj sarvadhik plastik utpadak deshoan mean se ek hai.



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh

  1. REDIRECT saancha:mahattvapoorn aantararashtriy divas