File:Kabirdas-2.jpg
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vivaran (Description) | kabiradas |
srot (Source) | hindi buk seantar |
prayog anumati (Permission) | nagari pracharini sabha, varanasi |
abhar (Credits) | nagari pracharini sabha, varanasi |
any vivaran | kabir sant kavi aur samaj sudharak the. ye sikandar lodi ke samakalin the. kabir ka arth arabi bhasha mean mahan hota hai. kabiradas bharat ke bhakti kavy paranpara ke mahanatam kaviyoan mean se ek the. |
File history
fail purane samay mean kaisi dikhati thi yah janane ke lie vaanchhit dinaank/samay par klik karean.
Date/Time | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | Dimensions | User | Comment | |
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current | 07:29, 15 May 2011 | 2,000 × 2,734 (1.69 MB) | गोविन्द राम (talk | contribs) |
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File usage
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- अंखियां तो झाईं परी -कबीर
- अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर
- आया अनआया भया -कबीर
- इक दिन ऐसा होइगा -कबीर
- इहि औसरि चेत्या नहीं -कबीर
- उपदेश का अंग -कबीर
- ऐसा यहु संसार है, जैसा सैंबल फूल -कबीर
- कबीर अपने जीव तैं -कबीर
- कबीर आलेख
- कबीर इस संसार में -कबीर
- कबीर कहा गरबियो, काल कर केस -कबीर
- कबीर कहा गरबियो, चाँम लपेटे हाड़ -कबीर
- कबीर कहा गरबियो -कबीर
- कबीर कहा गरबियो ऊँचे देखि अवास -कबीर
- कबीर कहा गरबियो देही देखि सुरंग -कबीर
- कबीर का व्यक्तित्व
- कबीर का समकालीन समाज
- कबीर की भाषा शैली
- कबीर की रचनाएँ
- कबीर की साखियाँ -कबीर
- कबीर के दोहे
- कबीर के पद -कबीर
- कबीर जे धंधै तो धूलि -कबीर
- कबीर थोड़ा जीवना -कबीर
- कबीर देवल ढहि पड़ा -कबीर
- कबीर धूलि सकेलि करि -कबीर
- कबीर नौबति आपनी -कबीर
- कबीर पट्टन कारिवाँ -कबीर
- कबीर मंदिर ढहि पड़ी -कबीर
- कबीर मंदिर लाख का -कबीर
- कबीर यहु तन जात है, सकै तो लेहु बहोरि -कबीर
- कबीर यहु तन जात है -कबीर
- कबीर सुपनै रैनि कै -कबीर
- कबीर सुपनैं रैनि कै, पारस जीय मैं छेक -कबीर
- कबीर हरि की भगति करि -कबीर
- कबीर हरि की भगति बिन -कबीर
- करम गति टारै नाहिं टरी -कबीर
- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 33
- कहा कियो हम आइ करि -कबीर
- काँची कारी जिनि करै -कबीर
- कामी का अंग -कबीर
- काहे री नलिनी तू कुमिलानी -कबीर
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
- घूँघट के पट -कबीर
- चांणक का अंग -कबीर
- चितावणी का अंग -कबीर
- जर्णा का अंग -कबीर
- जिनके नौबति बाजती -कबीर
- जिहि हरि की चोरी करी -कबीर
- जीवन-मृतक का अंग -कबीर
- जीवन मरन बिचारि करि -कबीर
- झीनी झीनी बीनी चदरिया -कबीर
- ढोल दमामा डुगडुगी -कबीर
- तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के -कबीर
- तेरा मेरा मनुवां -कबीर
- दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ -कबीर
- निरंजन धन तुम्हरो दरबार -कबीर
- नीति के दोहे -कबीर
- नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर
- पतिव्रता का अंग -कबीर
- पहेली 3 अक्तूबर 2013
- पहेली अक्तूबर 2013
- बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर
- बीत गये दिन भजन बिना रे -कबीर
- बेसास का अंग -कबीर
- भजो रे भैया राम गोविंद हरी -कबीर
- भेष का अंग -कबीर
- भ्रम-बिधोंसवा का अंग -कबीर
- मधि का अंग -कबीर
- मन का अंग -कबीर
- मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा -कबीर
- मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै -कबीर
- मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में -कबीर
- माटी मलनि कुँभार की -कबीर
- मानुष जनम दुलभ है -कबीर
- माया का अंग -कबीर
- माया महा ठगनी हम जानी -कबीर
- मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया -कबीर
- मोको कहां ढूँढे रे बन्दे -कबीर
- यह तन काचा कुंभ है, लियाँ फिरै था साथि -कबीर
- यह तन काचा कुंभ है -कबीर
- रस का अंग -कबीर
- रहना नहिं देस बिराना है -कबीर
- राखनहारे बाहिरा -कबीर
- राम नाम जाना नहीं, पाल्यो कटक कुटुम्ब -कबीर
- राम नाम जाना नहीं, बात बिनंठी मूलि -कबीर
- राम नाम जाना नहीं -कबीर
- राम बिनु तन को ताप न जाई -कबीर
- रे दिल गाफिल गफलत मत कर -कबीर
- संगति का अंग -कबीर
- समरथाई का अंग -कबीर
- सांच का अंग -कबीर
- सातौ सबद जु बाजते -कबीर
- साध-असाध का अंग -कबीर
- साध का अंग -कबीर
- साधो ये मुरदों का गांव -कबीर
- सुपने में सांइ मिले -कबीर
- सुमिरण का अंग -कबीर
- सूरातन का अंग -कबीर
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