Difference between revisions of "इटूर"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} आंध्र प्रदेश में गजुलीबंडा के निकट इट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
*[[आंध्र प्रदेश]] में गजुलीबंडा के निकट इटूर ग्राम में एक पचास फुट ऊंची विशाल चट्टान पर आंध्रकाल के महत्वपूर्ण अवशेष स्थित हैं।  
[[आंध्र प्रदेश]] में गजुलीबंडा के निकट इटूर ग्राम में एक पचास फुट ऊंची विशाल चट्टान पर आंध्रकाल के महत्वपूर्ण अवशेष स्थित हैं। [[मिट्टी]] के बर्तनों के खंड तथा टूटी-फूटी प्राचीन ईटें इस स्थान से बड़ी संख्या में मिली हैं। खंडहरकों में सीसे का आंध्रकालीन एक सिक्का भी मिला है। इटूर पर एक मृद्भांग के टुकड़े पर प्रथम या द्वितीय शती ई. की [[ब्राह्मीलिपि]] में तीन अक्षरों का एक लेख है। [[सातवाहन वंश|सातवाहनों]] के कई सिक्के भी मिले हैं। चट्टान के दक्षिणी भाग में एक [[स्तूप]] के अवशेष हैं। इसका आकार अरे तथा नाभि सहित एक विशाल-चक्र के समान है। इसका व्यास 60 फुट के लगभग है। पश्चिमी भाग में एक [[बौद्ध]] चैत्यशाला के चिह्न हैं। इसकी लंबाई 24 फुट और चौड़ाई 12 फुट है। उत्तर-पश्चिमी किनारे पर एक अन्य स्तूप के अवशेष स्थित है। अन्य भवनों के भी खंडहर हैं किंतु उनका अभिज्ञान अनिश्चित है। अन्य संबंधित बौद्ध-स्थानों के समान ही यहाँ भी बड़ी-बड़ी ईंटों का प्रयोग किया गया है। कुछ तो 2 फुट 1 इंच X 3 फुट के परिमाण की हैं। गजुलीबंडा में मिट्टी की मूर्तियों के शिर भी मिले हैं। इनमें से एक का शिरावरण अनोखा दिखाई पड़ता है क्योंकि वह आजकल प्रयोग में नहीं है।  
+
*[[मिट्टी]] के बर्तनों के खंड तथा टूटी-फूटी प्राचीन ईटें इस स्थान से बड़ी संख्या में मिली हैं।  
 +
*खंडहरकों में सीसे का आंध्रकालीन एक सिक्का भी मिला है।  
 +
*इटूर पर एक मृद्भांग के टुकड़े पर प्रथम या द्वितीय शती ई. की [[ब्राह्मीलिपि]] में तीन अक्षरों का एक लेख है।  
 +
*[[सातवाहन वंश|सातवाहनों]] के कई सिक्के भी मिले हैं।  
 +
*चट्टान के दक्षिणी भाग में एक [[स्तूप]] के अवशेष हैं।  
 +
*इसका आकार अरे तथा नाभि सहित एक विशाल-चक्र के समान है।  
 +
*इसका व्यास 60 फुट के लगभग है।  
 +
*पश्चिमी भाग में एक [[बौद्ध]] चैत्यशाला के चिह्न हैं।  
 +
*इसकी लंबाई 24 फुट और चौड़ाई 12 फुट है।  
 +
*उत्तर-पश्चिमी किनारे पर एक अन्य स्तूप के अवशेष स्थित है।  
 +
*अन्य भवनों के भी खंडहर हैं किंतु उनका अभिज्ञान अनिश्चित है।  
 +
*अन्य संबंधित बौद्ध-स्थानों के समान ही यहाँ भी बड़ी-बड़ी ईंटों का प्रयोग किया गया है।  
 +
*कुछ तो 2 फुट 1 इंच X 3 फुट के परिमाण की हैं।  
 +
*गजुलीबंडा में मिट्टी की मूर्तियों के शिर भी मिले हैं।  
 +
*इनमें से एक का शिरावरण अनोखा दिखाई पड़ता है क्योंकि वह आजकल प्रयोग में नहीं है।  
  
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
Line 12: Line 26:
 
[[Category:आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]]
 
[[Category:आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]]
 
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

Revision as of 10:09, 21 August 2011

  • aandhr pradesh mean gajulibanda ke nikat itoor gram mean ek pachas phut ooanchi vishal chattan par aandhrakal ke mahatvapoorn avashesh sthit haian.
  • mitti ke bartanoan ke khand tatha tooti-phooti prachin eetean is sthan se b di sankhya mean mili haian.
  • khandaharakoan mean sise ka aandhrakalin ek sikka bhi mila hai.
  • itoor par ek mridbhaang ke tuk de par pratham ya dvitiy shati ee. ki brahmilipi mean tin aksharoan ka ek lekh hai.
  • satavahanoan ke kee sikke bhi mile haian.
  • chattan ke dakshini bhag mean ek stoop ke avashesh haian.
  • isaka akar are tatha nabhi sahit ek vishal-chakr ke saman hai.
  • isaka vyas 60 phut ke lagabhag hai.
  • pashchimi bhag mean ek bauddh chaityashala ke chihn haian.
  • isaki lanbaee 24 phut aur chau daee 12 phut hai.
  • uttar-pashchimi kinare par ek any stoop ke avashesh sthit hai.
  • any bhavanoan ke bhi khandahar haian kiantu unaka abhijnan anishchit hai.
  • any sanbandhit bauddh-sthanoan ke saman hi yahaan bhi b di-b di eeantoan ka prayog kiya gaya hai.
  • kuchh to 2 phut 1 ianch X 3 phut ke pariman ki haian.
  • gajulibanda mean mitti ki moortiyoan ke shir bhi mile haian.
  • inamean se ek ka shiravaran anokha dikhaee p data hai kyoanki vah ajakal prayog mean nahian hai.


tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh