Difference between revisions of "दोहरी शासन प्रणाली"

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'''द्वैध-शासन''', जिसे भारत सरकार अधिनियम<ref>1919</ref> द्वारा ब्रिटिश [[भारत]] के प्रांतों में लागू किया। भारत के ब्रिटिश प्रशासन की कार्यपालिका शाखा में लोकतंत्र के सिद्धांत की यह पहली शुरूआत थी। काफ़ी आलोचना के बावजूद ब्रिटिश भारत की सरकार में यह नई खोज के रूप में महत्त्व हासिल कर सकी और 1935 में यह भारत की पूर्ण प्रांतीय स्वायत्तता तथा 1947 में आज़ादी की अग्रगामी बनी। ई.एस. मॉन्टेग्यू<ref>भारत सचिव,1917-22</ref> तथा लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड<ref>भारत के [[वाइसरॉय]], 1916-21</ref> ने द्वैध-शासन प्रणाली को संवैधानिक सुधार के बतौर लागू किया था।
द्वैध-शासन, जिसे भारत सरकार अधिनियम<ref>1919</ref> द्वारा ब्रिटिश [[भारत]] के प्रांतों में लागू किया। भारत के ब्रिटिश प्रशासन की कार्यपालिका शाखा में लोकतंत्र के सिद्धांत की यह पहली शुरूआत थी। काफ़ी आलोचना के बावजूद ब्रिटिश भारत की सरकार में यह नई खोज के रूप में महत्त्व हासिल कर सकी और 1935 में यह भारत की पूर्ण प्रांतीय स्वायत्तता तथा 1947 में आज़ादी की अग्रगामी बनी। ई.एस. मॉन्टेग्यू<ref>भारत सचिव,1917-22</ref> तथा लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड<ref>भारत के [[वाइसरॉय]], 1916-21</ref> ने द्वैध-शासन प्रणाली को संवैधानिक सुधार के बतौर लागू किया था।
 
 
==सिद्धांत==
 
==सिद्धांत==
द्वैध-शासन प्रणाली का सिद्धांत था, प्रत्येक प्रांतीय सरकार के बीच कार्यपालिका शाखाओं का सत्तावादी तथा सामान्यया उत्तरदायी खंडों में विभाजन। प्रथम खंड का गठन जैसे पहले होता था, वैसे ही महारानी द्वारा कार्यकारी पार्षदों की नियुक्ति से किया गया। दूसरे खंड का गठन उन मंत्रियों से होता था, जिनका चयन गवर्नर प्रांतिय विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधिओं में से करते थे। ये मंत्री भारतीय होते थे।
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द्वैध-शासन प्रणाली का सिद्धांत था, प्रत्येक प्रांतीय सरकार के बीच कार्यपालिका शाखाओं का सत्तावादी तथा सामान्यतया उत्तरदायी खंडों में विभाजन। प्रथम खंड का गठन जैसे पहले होता था, वैसे ही महारानी द्वारा कार्यकारी पार्षदों की नियुक्ति से किया गया। दूसरे खंड का गठन उन मंत्रियों से होता था, जिनका चयन गवर्नर प्रांतिय विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधिओं में से करते थे। ये मंत्री भारतीय होते थे।
  
 
प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों या विषयों का बंटवारा इन मंत्रियों तथा पार्षदों के बीच क्रमशः आरक्षित तथा स्थानांतरित विषयों के नाम से किया गया था। आरक्षित विषय क़ानून और व्यवस्था शीर्षक के अंतर्गत आते थे तथा इसमें न्याय, पुलिस, भू-राजस्व तथा सिंचाई जैसे विषय भी शामिल थे। स्थानांतरित विषयों में<ref>अर्थात वे, जो भारतीय मंत्रियों के अधीन थे</ref> स्थानीय निकाय, शिक्षा, लोक स्वास्थ, जनकार्य, [[कृषि]], वन तथा मत्स्यपालन शामिल थे। 1935 में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के साथ यह प्रणाली समाप्त कर दी गई।
 
प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों या विषयों का बंटवारा इन मंत्रियों तथा पार्षदों के बीच क्रमशः आरक्षित तथा स्थानांतरित विषयों के नाम से किया गया था। आरक्षित विषय क़ानून और व्यवस्था शीर्षक के अंतर्गत आते थे तथा इसमें न्याय, पुलिस, भू-राजस्व तथा सिंचाई जैसे विषय भी शामिल थे। स्थानांतरित विषयों में<ref>अर्थात वे, जो भारतीय मंत्रियों के अधीन थे</ref> स्थानीय निकाय, शिक्षा, लोक स्वास्थ, जनकार्य, [[कृषि]], वन तथा मत्स्यपालन शामिल थे। 1935 में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के साथ यह प्रणाली समाप्त कर दी गई।
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Revision as of 09:50, 9 October 2011

dvaidh-shasan, jise bharat sarakar adhiniyam[1] dvara british bharat ke praantoan mean lagoo kiya. bharat ke british prashasan ki karyapalika shakha mean lokatantr ke siddhaant ki yah pahali shurooat thi. kafi alochana ke bavajood british bharat ki sarakar mean yah nee khoj ke roop mean mahattv hasil kar saki aur 1935 mean yah bharat ki poorn praantiy svayattata tatha 1947 mean azadi ki agragami bani. ee.es. m aauntegyoo[2] tatha l aaurd chemsaford[3] ne dvaidh-shasan pranali ko sanvaidhanik sudhar ke bataur lagoo kiya tha.

siddhaant

dvaidh-shasan pranali ka siddhaant tha, pratyek praantiy sarakar ke bich karyapalika shakhaoan ka sattavadi tatha samanyataya uttaradayi khandoan mean vibhajan. pratham khand ka gathan jaise pahale hota tha, vaise hi maharani dvara karyakari parshadoan ki niyukti se kiya gaya. doosare khand ka gathan un mantriyoan se hota tha, jinaka chayan gavarnar praantiy vidhanasabhaoan ke nirvachit pratinidhioan mean se karate the. ye mantri bharatiy hote the.

prashasan ke vibhinn kshetroan ya vishayoan ka bantavara in mantriyoan tatha parshadoan ke bich kramashah arakshit tatha sthanaantarit vishayoan ke nam se kiya gaya tha. arakshit vishay qanoon aur vyavastha shirshak ke aantargat ate the tatha isamean nyay, pulis, bhoo-rajasv tatha sianchaee jaise vishay bhi shamil the. sthanaantarit vishayoan mean[4] sthaniy nikay, shiksha, lok svasth, janakary, krishi, van tatha matsyapalan shamil the. 1935 mean praantiy svayattata lagoo hone ke sath yah pranali samapt kar di gee.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. 1919
  2. bharat sachiv,1917-22
  3. bharat ke vaisar aauy, 1916-21
  4. arthat ve, jo bharatiy mantriyoan ke adhin the

bahari k diyaan

sanbandhit lekh