Difference between revisions of "आलवक"

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'''आलवक''' [[गौतमबुद्ध]] के समय<ref>पांचवी-छठी शती ई. पू.</ref> पूर्व-[[पांचाल]] में स्थित एक [[राज्य]] था।  
 
'''आलवक''' [[गौतमबुद्ध]] के समय<ref>पांचवी-छठी शती ई. पू.</ref> पूर्व-[[पांचाल]] में स्थित एक [[राज्य]] था।  
 
*यह [[कान्यकुब्ज]] से पूर्व की ओर संभवत: [[गाजीपुर]] के निकटवर्ती प्रदेश का नाम था।<ref>वाटर्स- युवानच्वांग, जिल्द. 2,61,340।</ref>
 
*यह [[कान्यकुब्ज]] से पूर्व की ओर संभवत: [[गाजीपुर]] के निकटवर्ती प्रदेश का नाम था।<ref>वाटर्स- युवानच्वांग, जिल्द. 2,61,340।</ref>
*चीनी पर्यटक [[युवानच्वांग]] ने आलवक देश को शायद चंचु कहा है। इसकी राजधानी सुत्तनिपात में आलवी बताई गई है<ref> सुत्तनिपा, दि बुक आव किंडरेड सेइंग्ज पृ. 275</ref> जो उवास गदसाओ नामक ग्रंथ<ref>भाग-2, पृष्ठ 103</ref> की आलभिया या आलंभिका जान पड़ती है।  
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*चीनी पर्यटक [[युवानच्वांग]] ने आलवक देश को शायद चंचु कहा है। इसकी राजधानी सुत्तनिपात में आलवी बताई गई है<ref>सुत्तनिपा, दि बुक ऑव किंडरेड सेइंग्ज पृ. 275</ref> जो उवास गदसाओ नामक ग्रंथ<ref>भाग-2, पृष्ठ 103</ref> की आलभिया या आलंभिका जान पड़ती है।  
 
*होर्नल के अनुसार आलवी की गणना अभिधानप्पदीपिका में बीस उत्तर-भारतीय नगरों के अंतर्गत की गई है।  
 
*होर्नल के अनुसार आलवी की गणना अभिधानप्पदीपिका में बीस उत्तर-भारतीय नगरों के अंतर्गत की गई है।  
 
*जैन-ग्रंथ [[कल्पसूत्र]] में उल्लेख है कि [[तीर्थंकर]] [[महावीर]] ने आलविका में एक वर्षाकाल व्यतीत किया था।  
 
*जैन-ग्रंथ [[कल्पसूत्र]] में उल्लेख है कि [[तीर्थंकर]] [[महावीर]] ने आलविका में एक वर्षाकाल व्यतीत किया था।  
 
*सुत्तनिपात<ref>सुत्तनिपात 10,2,45</ref> में आलवक को यक्ष-देश माना है और यहाँ का [[देवता]] एक यक्ष को बतलाया गया है जो आलवक पंचाल-खंड नाम से प्रसिद्ध था।  
 
*सुत्तनिपात<ref>सुत्तनिपात 10,2,45</ref> में आलवक को यक्ष-देश माना है और यहाँ का [[देवता]] एक यक्ष को बतलाया गया है जो आलवक पंचाल-खंड नाम से प्रसिद्ध था।  
 
*यक्ष बड़ा क्रोधी था किंतु तथागत के शांत स्वभाव के सामने उसे पराजित होना पड़ा था।  
 
*यक्ष बड़ा क्रोधी था किंतु तथागत के शांत स्वभाव के सामने उसे पराजित होना पड़ा था।  
*यक्ष उत्तरी [[भारत]] की कोई अनार्यजाति थी जिसका उल्लेख [[महाभारत]] में अनेक स्थलों पर है। [[शिखंडी]] की मनोरंजक कथा <ref>[[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म-पर्व]]</ref> में एक यक्ष को पांचाल-देश के अंतर्गत<ref>कांपिल्य के निकट</ref> वन में निवास करते हुए वर्णित किया गया है।  
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*यक्ष उत्तरी [[भारत]] की कोई अनार्यजाति थी जिसका उल्लेख [[महाभारत]] में अनेक स्थलों पर है।  
*आलवक में चुल्लवग्ग<ref>6, 17</ref> में आलवी में अग्गालव नामक बौद्ध मंदिर का उल्लेख है। संभव है कि इस देश और इसकी राजधानी का नाम [[संस्कृत]] अटवी का प्राकृत रूप हो।  
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*[[शिखंडी]] की मनोरंजक कथा<ref>[[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म-पर्व]]</ref> में एक यक्ष को पांचाल-देश के अंतर्गत<ref>[[कांपिल्य |कांपिल्य]] के निकट</ref> वन में निवास करते हुए वर्णित किया गया है।  
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*आलवक में चुल्लवग्ग<ref>6, 17</ref> में आलवी में अग्गालव नामक बौद्ध मंदिर का उल्लेख है।  
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*संभव है कि इस देश और इसकी राजधानी का नाम [[संस्कृत]] अटवी का प्राकृत रूप हो।  
  
 
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Revision as of 11:31, 19 October 2011

alavak gautamabuddh ke samay[1] poorv-paanchal mean sthit ek rajy tha.

  • yah kanyakubj se poorv ki or sanbhavat: gajipur ke nikatavarti pradesh ka nam tha.[2]
  • chini paryatak yuvanachvaang ne alavak desh ko shayad chanchu kaha hai. isaki rajadhani suttanipat mean alavi bataee gee hai[3] jo uvas gadasao namak granth[4] ki alabhiya ya alanbhika jan p dati hai.
  • hornal ke anusar alavi ki ganana abhidhanappadipika mean bis uttar-bharatiy nagaroan ke aantargat ki gee hai.
  • jain-granth kalpasootr mean ullekh hai ki tirthankar mahavir ne alavika mean ek varshakal vyatit kiya tha.
  • suttanipat[5] mean alavak ko yaksh-desh mana hai aur yahaan ka devata ek yaksh ko batalaya gaya hai jo alavak panchal-khand nam se prasiddh tha.
  • yaksh b da krodhi tha kiantu tathagat ke shaant svabhav ke samane use parajit hona p da tha.
  • yaksh uttari bharat ki koee anaryajati thi jisaka ullekh mahabharat mean anek sthaloan par hai.
  • shikhandi ki manoranjak katha[6] mean ek yaksh ko paanchal-desh ke aantargat[7] van mean nivas karate hue varnit kiya gaya hai.
  • alavak mean chullavagg[8] mean alavi mean aggalav namak bauddh mandir ka ullekh hai.
  • sanbhav hai ki is desh aur isaki rajadhani ka nam sanskrit atavi ka prakrit roop ho.


tika tippani aur sandarbh

  1. paanchavi-chhathi shati ee. poo.
  2. vatars- yuvanachvaang, jild. 2,61,340.
  3. suttanipa, di buk aauv kiandared seiangj pri. 275
  4. bhag-2, prishth 103
  5. suttanipat 10,2,45
  6. bhishm-parv
  7. kaanpily ke nikat
  8. 6, 17

bahari k diyaan

sanbandhit lekh