अपच्छाय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

अपच्छाय (विशेषण) [अपगता छाया यस्य, ब. स.]

1. जिसकी छाया न हो, छायारहित
2. चमकरहित, धुंधला-यः जिसकी छाया न होती हो, अर्थात् परमात्मा; तु. नै. 14/21, श्रियं भजन्तां कियदस्य देवाश्छाया नलस्यास्ति तथापि नैषाम्, इतीरयन्तीव तया निरैक्षि सा (छाया) नैषधेन त्रिदशेषु तेषुः।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 62 |

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः