अपच्छाय
अपच्छाय (विशेषण) [अपगता छाया यस्य, ब. स.]
- 1. जिसकी छाया न हो, छायारहित
- 2. चमकरहित, धुंधला-यः जिसकी छाया न होती हो, अर्थात् परमात्मा; तु. नै. 14/21, श्रियं भजन्तां कियदस्य देवाश्छाया नलस्यास्ति तथापि नैषाम्, इतीरयन्तीव तया निरैक्षि सा (छाया) नैषधेन त्रिदशेषु तेषुः।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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