अयस्
अयस् (नपुं.) [इ+असुन्]
सम.-अग्रम (अयोऽग्र) -अग्रकम् (अयोऽग्रक) हथौड़ा, मूसल,-कांडः (पुल्लिंग)
- 1. लोहे का बाण
- 2. बढ़िया लोहा
- 3. लोहे का बड़ा परिमाण,-कान्तः (पुल्लिंग) (अयस्कान्तः) 1. चुंबक, चुंबक पत्थर 2. मूल्यवान् पत्थर, °मणिः चुंबक पत्थर-अयस्कान्तमणिशलाकेव लोहधातुमन्तः करणमाकृष्टवती-मा. 1,-कारः (पुल्लिंग) लुहार, लोहे का काम करने वाला, -कीटम् लोहे का जंग या मुर्चा-कुंभः लोहे का बर्तन, इंजिन का बायलर आदि, इसी प्रकार -पात्रम्, -घनः (पुल्लिंग) लोहे का हथौड़ा-अयोघनेनाय इवाभितप्तम्-रघु. 14/33,-चूर्णम् लोहे का चूरा,-जालम् (नपुं.) लोहे की जाली,-दंड: (पुल्लिंग) लोहे की मुद्गर,-धातुः (पुल्लिंग) लोह धातु,-प्रतिमा (स्त्रीलिंग) लोहे की मूर्ति,-मलम् लोहे का जंग, इसी प्रकार °रंज:, °रसः,-मुखः (पुल्लिंग) लोहे की नोक लगा हुआ बाण-भेत्स्यत्यजः कुम्भमयोमुखेन रघु. 5/55,-शंकुः (पुल्लिंग) 1. लोहे की बछ 2. लोहे की कील, नोकदार लोहे की छड़,-शूल (नपुं.) 1. लोहे का भाला 2. प्रबल साधन, तीक्ष्ण उपाय-सिद्धा. (तु. आयःशूलिकः काव्य. 10., अयः शूलेन अन्विच्छतीत्यायः शूलिकः),-हृदय (विशेषण) लौह-हृदय, कठोर, निष्ठुर,-सुहृदयो हृदयः
प्रतिगर्जताम् रघु. 9/9[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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