अरणि:
अरणिः (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग) [स्त्री-णी]
- शमी की लकड़ी का टुकड़ा, जिसके घर्षण से यज्ञ के अवसर पर अग्नि जलाई जाती है, आग उत्पन्न करने वाली लकड़ी-तु., पंच. 1/216,-णी (द्वि. व.) यज्ञाग्नि प्रज्वलित करने के लिए लकड़ी की दो समिधाएँ,-णिः 1. सूर्य, 2. भाग 3. फलीता, चकमक पत्थर।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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