ओछे को सतसंग -रहीम
ओछे को सतसंग, ‘रहिमन’ तजहु अंगार ज्यों ।
तातो जारै अंग , सीरे पै कारो लगे ॥
- अर्थ
नीच का साथ छोड़ दो, जो अंगार के समान है। जलता हुआ अंगार अंग को जला देता है, और ठंडा हो जाने पर कालिख लगा देता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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