कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम
कोउ ‘रहीम’ जहिं काहुके, द्वार गए पछीताय ।
संपति के सब जात हैं, बिपति सबै ले जाय ॥
- अर्थ
किसी के दरवाजे पर जाकर पधताना नहीं चाहिए। धनी के द्वार तो सभी जाते हैं। यह विपत्ति कहाँ-कहाँ नहीं ले जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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