गहि सरनागति राम की -रहीम

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गहि सरनागति राम की, भवसागर की नाव।
‘रहिमन’ जगत-उधार को, और न कछू उपाय॥

अर्थ

संसार-सागर के पार ले जाने वाली नाव राम की एक शरणागति ही है। संसार के उद्धार पाने का दूसरा कोई उपाय नहीं, कोई और साधन नहीं।


left|50px|link=वहै प्रीत नहिं रीति वह -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=मुनि-नारी पाषान ही -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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