जैसी जाकी बुद्धि है -रहीम
जैसी जाकी बुद्धि है, तैसी कहै बनाय।
ताको बुरो न मानिये, लेन कहां सूँ जाय॥
- अर्थ
जिसकी जैसी जितनी बुद्धि होती है, वह वैसा ही बन जाता है, या बना-बना कर वैसी ही बात करता है। उसकी बात का इसलिए बुरा नहीं मानना चाहिए। कहां से वह सम्यक बुद्धि लेने जाय?
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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