जो रहीम गति दीप की -रहीम

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जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥

अर्थ

दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।


left|50px|link=जे ग़रीब पर हित करैं -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम|आगे जाएँ


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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