जो विषया संतन तजी -रहीम
जो विषया संतन तजी, मूढ़ ताहि लपटात ।
ज्यों नर डारत वमन कर, स्वान स्वाद सों खात ॥
- अर्थ
संतजन जिन विषय-वासनाओं का त्याग कर देते हैं, उन्हीं को पाने के लिए मूढ़ जन लालायित रहते हैं। जैसे वमन किया हुआ अन्न कुत्ता बड़े स्वाद से खाता है ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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