निज कर क्रिया रहीम कहि -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

निज कर क्रिया ‘रहीम’ कहि, सिधि भावी के हाथ ।
पाँसा अपने हाथ में, दाँव न अपने हाथ ॥

अर्थ

कर्म करना तो अपने हाथ में है, पर उसकी सफलता दैव के हाथ में है। देख लो न चौपड़ के खेल में– पांसा अपने हाथ में है, पर दाँव अपने हाथ में नहीं।


left|50px|link=नाद रीझि तन देत मृग -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=पन्नगबेलि पतिव्रता -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः