पावस देखि रहीम मन -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

पावस देखि ‘रहीम’ मन, कोइल साधे मौन ।
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछत कौन ॥

अर्थ

वर्षा ऋतु आने पर कोयल ने मौनव्रत ले लिया, यह सोचकर कि अब हमें कौन पूछेगा ? अब तो मेंढ़क ही बोलेंगे, उन्हीं वक्ताओं के भाषण होंगे अब।


left|50px|link=पन्नगबेलि पतिव्रता -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=बड़ माया को दोष यह -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः