बड़े दीन को दुःख सुने -रहीम
बड़े दीन को दुःख सुने, लेत दया उर आनि ।
हरि हाथी सों कब हुती, कहु ‘रहीम’ पहिचानि ॥
- अर्थ
बड़े लोग जब किसी ग़रीब का दुखड़ा सुनते हैं, तो उनके हृदय में दया उमड़ आती है । भगवान की कब जान पहचान थी (ग्राह से ग्रस्त) गजेन्द्र के साथ ?
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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