रहिमन अब वे बिरछ कह -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ अब वे बिरछ कह, जिनकी छाँह गंभीर।
बागन बिच-बिच देखिअत, सेंहुड़ कुंज करीर॥

अर्थ

वे पेड़ आज कहां, जिनकी छाया बड़ी घनी होती थी। अब तो उन बागों में कांटेदार सेंहुड़, कंटीली झाड़ियाँ और करील देखने में आते हैं।


left|50px|link=रहिमन अँसुवा नयन ढरि -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन जिव्हा बावरी -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः