रहिमन अब वे बिरछ कह -रहीम
‘रहिमन’ अब वे बिरछ कह, जिनकी छाँह गंभीर।
बागन बिच-बिच देखिअत, सेंहुड़ कुंज करीर॥
- अर्थ
वे पेड़ आज कहां, जिनकी छाया बड़ी घनी होती थी। अब तो उन बागों में कांटेदार सेंहुड़, कंटीली झाड़ियाँ और करील देखने में आते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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