रहिमन चुप ह्वै बैठिए -रहीम

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‘रहिमन’ चुप ह्वै बैठिए, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥

अर्थ

यह देखकर कि बुरे दिन आ गये, चुप बैठ जाना चाहिए। दुर्भाग्य की शिकायत क्यों और किस से की जाय? जब अच्छे दिन फिरेंगे, तो बनने में देर नहीं लगेगी। इस विश्वास का सहारा लेकर तुम चुपचाप बैठे रहो।


left|50px|link=रहिमन कुटिल कुठार ज्यों -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन छोटे नरन सों -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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