रहिमन जो रहिबो चहै -रहीम

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‘रहिमन’ जो रहिबो चहै, कहै वाहि के दाव ।
जो बासर को निसि कहै, तौ कचपची दिखाव ॥

अर्थ

अगर मालिक के साथ रहना चाहते हो तो, हमेशा उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाते रहो। अगर वह कहे कि यह दिन नहीं , यह तो रात है, तो तुम आसमान में तारे दिखाओ।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अगर रहना है, तो खिलाफ में कुछ मत कहो, और अगर साफ-साफ कह देना है, तो वहाँ से फौरन चले जाओ ‘रहना तो कहना नहीं, कहना तो रहना नहीं।

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