रहिमन तीन प्रकार ते -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि ।
पर-बस परे, परोस-बस, परे मामिला जानि ॥

अर्थ

क्या तो हित है और क्या अनहित, इसकी पहचान तीन प्रकार से होती है : दूसरे के बस में होने से, पड़ोस में रहने से और मामला मुकदमा पड़ने पर।


left|50px|link=रहिमन जो रहिबो चहै -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन दानि दरिद्रतर -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः