रहिमन निज सम्पति बिना -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

‘रहिमन’ निज सम्पति बिना, कोउ न विपति-सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय ॥

अर्थ

काम अपनी ही सम्पत्ति आती है, कोई दूसरा विपत्ति में सहायक नहीं होता है। पानी न रहने पर कमल को सूखने से सूर्य बचा नहीं सकता।


left|50px|link=रहिमन निज मन की बिथा -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन पानी राखिए -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः