रहिमन मनहिं लगाईके -रहीम

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‘रहिमन’ मनहिं लगाईके, देखि लेहु किन कोय ।
नर को बस करिबो कहा, नारायन बस होय ॥

अर्थ

मन को स्थिर करके कोई क्यों नहीं देख लेता, इस परम सत्य को कि, मनुष्य को वश में कर लेना तो बात ही क्या, नारायण भी वश में हो जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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