हरि रहीम ऐसी करी -रहीम
हरि ’रहीम’ ऐसी करी, ज्यों कमान सर पूर।
खेंचि आपनी ओर को, डारि दियौ पुनि दूर॥
- अर्थ
जैसे धनुष पर चढ़ाया हुआ तीर पहले तो अपनी तरफ खींचा जाता है, और फिर उसे छोड़कर बहुत दूर फेंक देते हैं। वैसे ही हे नाथ! पहले तो आपने कृपाकर मुझे अपनी और खींच लिया। और फिर इस तरह दूर फेंक दिया कि मैं दर्शन पाने को तरस रहा हूँ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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