हिम्मत शाह
हिम्मत शाह
| |
पूरा नाम | हिम्मत शाह |
जन्म | 22 जुलाई, 1933 |
जन्म भूमि | भावनगर, गुजरात |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | मूर्तिकला |
विद्यालय | सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य कला परिषद पुरस्कार राष्ट्रीय कालिदास पुरस्कार |
प्रसिद्धि | मूर्तिकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | बहुत मामूली सी समझने जाने वाली बेजान मिट्टी उनके हाथ के संस्पर्श से जीवंत व जागरूक हो उठती है। उनके स्टुडियो में मिट्टी पर संख्या दर्ज रहता है यानी ये मिट्टी इतने सालों से सड़ाई जा रही है। |
अद्यतन | 17:44, 11 अक्टूबर 2021 (IST)
|
हिम्मत शाह (अंग्रेज़ी: Himmat Shah, जन्म- 22 जुलाई, 1933, भावनगर, गुजरात) भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। उनके काम की विशिष्टता उसके ब्योरे में रहा करती है। बहुत मामूली सी समझने जाने वाली बेजान मिट्टी उनके हाथ के संस्पर्श से जीवंत व जागरूक हो उठती है। हिम्मत शाह अपने रेखांकन रेखाओं से बनाते हैं। लेकिन अमूर्त किस्म की लगने वाले इन रेखांकनों से कई भाव लिए मानव आकृतियों के चिन्ह दिखाई पड़ने लगते हैं। उनकी कलाकृतियों में कुछ कलाकृति काग़ज़ को सिगरेट से जलाकर बनायी गयी हैं।
कला शिक्षा
हिम्मत शाह ने कला की प्रारंभिक शिक्षा घडशाला, भावनगर, गुजरात से प्राप्त की। इसके बाद सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई में अध्यन किया। हिम्मत शाह ने बड़ौदा में नारायण श्रीधर बेंद्रे के जी सुब्रमण्यम से कला की शिक्षा ग्रहण की। फ्रांस सरकार से मिली छात्रवृत्ति के तहत अध्ययन हेतु वह पेरिस गए। सन 2000 में उन्होंने जयपुर में स्टूडियो की स्थापना की।[1] हिम्मत शाह के 'हेड' की श्रृंखला वाली बहुचर्चित कृतियां अलग से आकर्षित करती हैं।
पुरस्कार
- साहित्य कला परिषद पुरस्कार
- राष्ट्रीय कालिदास पुरस्कार
- गगन अकादमी पुरस्कार
प्रमुख मूर्ति शिल्प
- शीर्षक हीन हैंड
यह शिल्प एक धातु से निर्मित है। चेहरे पर आंखें गोलाई लिए हुए, नाक लंबी एवं मुंह छोटा बनाया गया है। साइड में हल्की व गहरी रेखाओं के द्वारा क्रॉस निशान बनाया है। यह सरलता व प्रतीकात्मक के गुणों को प्रदर्शित करता है।
सामग्री के साथ सच्चा बरताव
हिम्मत शाह ने अपने माध्यम में महारत हासिल कर लिया है। वे खुद कहा भी करते हैं कि "मैंने हेनरी मूर व जियाकोमेती की इस बात को गहरे बिठा लिया है। अपनी सामग्री के साथ हमेशा सच्चे रहो और सीधे नक्काशी यानी डायरेक्ट कारविंग करनी चाहिए।" हिम्मत शाह मिट्टी जैसी मामूली चीज को तैयार करते हैं। उनके काम की विशिष्टता उसके ब्योरे में रहा करती है। बहुत मामूली सी समझने जाने वाली बेजान मिट्टी उनके हाथ के संस्पर्श से जीवंत व जागरूक हो उठती है। उनके स्टुडियो में मिट्टी पर संख्या दर्ज रहता है यानी ये मिट्टी इतने सालों से सड़ाई जा रही है। ऐसी तैयार सामग्री से वे मनचाहा प्रभाव पैदा करते हैं। वे मिट्टी में रस्सी, टीन, कपड़े, तांबा आदि का प्रयोग कर उसमें विविधता पैदा करते हैं।[1]
हिम्मत शाह ब्राांकुसी की इस बात से भी प्रभावित रहे हैं कि फॉर्म, सब्जेक्ट से अधिक महत्वपूर्ण होता है। हिम्मत शाह के अनुसार इन दोनों बातों पर ध्यान देने से ही नयी जमीन की तलाश हो पाती है। इससे ही आप अतीत से वर्तमान और परंपरा से आधुनिकता तक का सफर तय कर पाते हैं। वह अपने रेखांकन रेखाओं से बनाते हैं। लेकिन अमूर्त किस्म की लगने वाले इन रेखांकनों से कई भाव लिए मानव आकृतियों के चिन्ह दिखाई पड़ने लगते हैं। उनकी कलाकृतियों में कुछ कलाकृति काग़ज़ को सिगरेट से जलाकर बनायी गयी हैं। जले हुए काग़ज़ वाली इन छोटी-छोटी कृतियों ने नोबेल सम्मान प्राप्त कवि ऑक्टोवियो पाज का ध्यान आकृष्ट किया था। सच तो यह है कि हिम्मत शाह की कृतियां देखने वाले से चाक्षुष समृद्धि की मांग करता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1
हिम्मत शाह (हिंदी) fineartist.in। अभिगमन तिथि: 11 अक्टूबर, 2021। Cite error: Invalid
<ref>
tag; name "pp" defined multiple times with different content
संबंधित लेख