जे रहीम बिधि बड़ किए -रहीम

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जे ‘रहीम’ बिधि बड़ किए, को कहि दूषन काढ़ि ।
चंद्र दूबरो कूबरो, तऊ नखत तें बाढ़ि ॥

अर्थ

विधाता ने जिसे बड़ाई देकर बड़ा बना दिया, उसमें दोष कोई निकाल नहीं सकता। चन्द्रमा सभी नक्षत्रों से अधिक प्रकाश देता है, भले ही वह दुबला और कूबड़ा हो।


left|50px|link=जब लगि वित्त न आपुने -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=जैसी परै सो सहि रहे -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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