नारायण पंडित

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

नारायण पण्डित प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक हितोपदेश के रचयिता थे। पुस्तक के अंतिम पद्यों के आधार पर इसके रचयिता का नाम नारायण ज्ञात होता है।

नारायणेन प्रचरतु रचितः संग्रहोsयं कथानाम्

  • पण्डित नारायण ने पंचतन्त्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की सहायता से हितोपदेश नामक इस ग्रंथ का सृजन किया। स्वयं पं. नारायण जी ने स्वीकार किया है--

पंचतन्त्रान्तथाडन्यस्माद् ग्रंथादाकृष्य लिख्यते।

  • इसके आश्रयदाता का नाम धवलचंद्रजी है। धवलचंद्रजी बंगाल के माण्डलिक राजा थे तथा नारायण पण्डित राजा धवलचंद्रजी के राजकवि थे। मंगलाचरण तथा समाप्ति श्लोक से नारायण की शिव में विशेष आस्था प्रकट होती है।
  • उनके समय के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डॉ॰ फ्लीट का मानना है कि इसकी रचना 11वीं शताब्दी आस- पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख 1373 ई. का प्राप्त है। वाचस्पति गैरोलाजी ने इसका रचनाकाल 14वीं शती के आसपास माना है। इन तथ्यों से नारायण पण्डित का काल 11वीं से 14वीं शताब्दी के आसपास का मालूम होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः