पाल्यकीर्ति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

पाल्यकीर्ति का अपर नाम 'शाकटायन' था। ये प्राचीन आर्य शाकटायन व्याकरण के रचयिता थे। ये अर्वाचीन जैन शाकटायन हैं। इन्होंने भी व्याकरण रचना की है।

  • ये 'यापनी सम्प्रदाय' के प्रभावी लेखक माने गये हैं।
  • इनका समय लगभग विक्रम संवत 871-924 है।
  • इनकी महत्त्वपूर्ण अन्य रचनाएं-'स्त्रीमुक्ति' तथा 'केवलभुक्ति' हैं।
  • आपने निजी शब्दानुशासन से सम्बन्धित धातुपाठ पर 'धातुवितरण' नामक प्रवचन किया है।
  • शाकटायन का धातुपाठ पाणिनि के उदीच्य पाठ से अधिक मिलता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 489 |

  1. सं.वा.को. (द्वितीय खण्ड), पृष्ठ 372

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः