रहिमन विद्या बुद्धि नहिं -रहीम
‘रहिमन’ विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम,जस, दान ।
भू पर जनम वृथा धरै, पसु बिन पूँछ-विषान ॥
- अर्थ
न तो पास में विद्या है, न बुद्धि है, न धर्म-कर्म है और न यश है और न दान भी किसी को दिया है। ऐसे मनुष्य का पृथ्वी पर जन्म लेना वृथा ही है। वह पशु ही है बिना पूँछ और बिना सींगो का।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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