ओज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
 
(3 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{शब्द संदर्भ लघु
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=कान्ति, [[तेज]], (काव्यशास्त्र) भाषा या रचना के तीन गुणों में से एक, रचना का वह गुण जो मन में दीप्ती, आवेग, वीरता का भाव उत्पन्न करता है।
|हिन्दी=कान्ति, [[तेज]], (काव्यशास्त्र) भाषा या रचना के तीन गुणों में से एक, रचना का वह गुण जो मन में दीप्ती, आवेग, वीरता का भाव उत्पन्न करता है, दीप्ती।
|व्याकरण=[संस्कृतभाषा ओजस] पुल्लिंग- दीप्ती
|व्याकरण= पुल्लिंग
|उदाहरण=प्रातःकाल में व्यायाम शरीर में ओज और उत्साह का भाव उत्पन्न करता है।  
|उदाहरण=प्रातःकाल में व्यायाम शरीर में '''ओज''' और उत्साह का भाव उत्पन्न करता है।  
|विशेष=रचना में ओज गुण के लिए कठोर वर्णों, संयुक्त वर्णों, वर्णो के द्वित्व, रेफ तथा लम्बे समासों का प्रयोग होता है। रसगंगाधर में ओज के पाँच भेद बतलाये गये हैं।  
|विशेष=रचना में '''ओज''' गुण के लिए कठोर वर्णों, संयुक्त वर्णों, वर्णो के द्वित्व, रेफ तथा लम्बे समासों का प्रयोग होता है। रसगंगाधर में ओज के पाँच भेद बतलाये गये हैं।  
|पर्यायवाची=ताप, अवदाह, आतप, इद्ध, उष्णता, उष्णा, उष्मा, ऊष्मानुभूति, औष्ण, गरमाहट, गरमी, तप, तप्ति, तापानुभूति, ताब, ताव, तेज, तेज़ी, दाघ, दाह, विदाह, सोज़, सोज़िश, वीर्य, धात, धातु, नरबीज, नुफ़ता, पौरुष, शारीरिक बल, चेतना, ज़ोर, ताक़त, दम, प्राण, बल, मज़बूती, शक्ति, शरीर शक्ति, आभा, इंदिरा, ईशान, उभास, उल्लास, ओप, कांति, चमक, छटा, जगमगाहट, जगर, मगर, जाज्वल्यता, ज्योति, त्विषा, दमक, दिव्यता, द्युति, द्युम्न, नूर, प्रतिभा, प्रभा, प्रवास, भामा, भासता, मयूख, रौनक़, विलास, शुक्र, शुचि, शुभ्रा, सुप्रभा, सुषमा
|पर्यायवाची=ताप, अवदाह, आतप, इद्ध, उष्णता, उष्णा, उष्मा, ऊष्मानुभूति, औष्ण, गरमाहट, गरमी, तप, तप्ति, तापानुभूति, ताब, ताव, तेज, तेज़ी, दाघ, दाह, विदाह, सोज़, सोज़िश, वीर्य, धात, धातु, नरबीज, नुफ़ता, पौरुष, शारीरिक बल, चेतना, ज़ोर, ताक़त, दम, प्राण।
|संस्कृत=नपुंसक लिंग [उब्ज्+असुन् बलीपः, गुणश्च], शारीरिक सामर्थ्य, बल, शक्ति, वीर्य, जननात्मक, आभा, प्रकाश, शैली का विस्तृत रुप, समास की बहुलता<ref>दण्डी के अनुसार यही गद्य की आत्मा है।</ref>-ओजः समासभूतस्त्वमेतदूगद्यस्य जीवितम्-<ref>काव्यादर्श 1/80</ref>, पानी, धातु की चमक।
|संस्कृत=नपुंसक लिंग [उब्ज्+असुन् बलीपः, गुणश्च], शारीरिक सामर्थ्य, बल, शक्ति, वीर्य, जननात्मक, आभा, प्रकाश, शैली का विस्तृत रुप, समास की बहुलता<ref>दण्डी के अनुसार यही गद्य की आत्मा है।</ref>-ओजः समासभूतस्त्वमेतदूगद्यस्य जीवितम्-<ref>काव्यादर्श 1/80</ref>, पानी, धातु की चमक।
|अन्य ग्रंथ=
|अन्य ग्रंथ=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:32, 21 March 2011

शब्द संदर्भ
हिन्दी कान्ति, तेज, (काव्यशास्त्र) भाषा या रचना के तीन गुणों में से एक, रचना का वह गुण जो मन में दीप्ती, आवेग, वीरता का भाव उत्पन्न करता है, दीप्ती।
-व्याकरण    पुल्लिंग
-उदाहरण   प्रातःकाल में व्यायाम शरीर में ओज और उत्साह का भाव उत्पन्न करता है।
-विशेष    रचना में ओज गुण के लिए कठोर वर्णों, संयुक्त वर्णों, वर्णो के द्वित्व, रेफ तथा लम्बे समासों का प्रयोग होता है। रसगंगाधर में ओज के पाँच भेद बतलाये गये हैं।
-विलोम   
-पर्यायवाची    ताप, अवदाह, आतप, इद्ध, उष्णता, उष्णा, उष्मा, ऊष्मानुभूति, औष्ण, गरमाहट, गरमी, तप, तप्ति, तापानुभूति, ताब, ताव, तेज, तेज़ी, दाघ, दाह, विदाह, सोज़, सोज़िश, वीर्य, धात, धातु, नरबीज, नुफ़ता, पौरुष, शारीरिक बल, चेतना, ज़ोर, ताक़त, दम, प्राण।
संस्कृत नपुंसक लिंग [उब्ज्+असुन् बलीपः, गुणश्च], शारीरिक सामर्थ्य, बल, शक्ति, वीर्य, जननात्मक, आभा, प्रकाश, शैली का विस्तृत रुप, समास की बहुलता[1]-ओजः समासभूतस्त्वमेतदूगद्यस्य जीवितम्-[2], पानी, धातु की चमक।
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दण्डी के अनुसार यही गद्य की आत्मा है।
  2. काव्यादर्श 1/80