अपनी महफ़िल -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions

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<poem>अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे
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मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे
अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे,
मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे।


ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए
ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए,
हो सके तो भरम से निकालो मुझे
हो सके तो भरम से निकालो मुझे।


मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे
मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे,
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे।


मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ
मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ,
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे।


जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा
जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा,
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे।


फूल बन कर खिलूँगा, बिखर जाऊँगा
फूल बन कर खिलूँगा, बिखर जाऊँगा,
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे।


दिल से गहरा न कोई समंदर मिला
दिल से गहरा न कोई समंदर मिला,
देखना हो तो अपना बना लो मुझे</poem>
देखना हो तो अपना बना लो मुझे।
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Latest revision as of 05:51, 14 December 2011

अपनी महफ़िल -कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे,
मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे।

ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए,
हो सके तो भरम से निकालो मुझे।

मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे,
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे।

मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ,
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे।

जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा,
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे।

फूल बन कर खिलूँगा, बिखर जाऊँगा,
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे।

दिल से गहरा न कोई समंदर मिला,
देखना हो तो अपना बना लो मुझे।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख