नारी -गोपालदास नीरज: Difference between revisions
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इस पार कभी, उस पार कभी..... | इस पार कभी, उस पार कभी..... | ||
तुम बिछुड़े-मिले | तुम बिछुड़े-मिले हज़ार बार, | ||
इस पार कभी, उस पार कभी। | इस पार कभी, उस पार कभी। | ||
तुम कभी अश्रु बनकर आँखों से टूट पड़े, | तुम कभी अश्रु बनकर आँखों से टूट पड़े, | ||
तुम कभी गीत बनकर साँसों से फूट पड़े, | तुम कभी गीत बनकर साँसों से फूट पड़े, | ||
तुम टूटे-जुड़े | तुम टूटे-जुड़े हज़ार बार | ||
इस पार कभी, उस पार कभी। | इस पार कभी, उस पार कभी। | ||
तम के पथ पर तुम दीप जला धर गए कभी, | तम के पथ पर तुम दीप जला धर गए कभी, | ||
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तुम पास रहे तन के, तब दूर लगे मन से, | तुम पास रहे तन के, तब दूर लगे मन से, | ||
जब पास हुए मन के, तब दूर लगे तन से, | जब पास हुए मन के, तब दूर लगे तन से, | ||
तुम बिछुड़े-मिले | तुम बिछुड़े-मिले हज़ार बार, | ||
इस पार कभी, उस पार कभी। | इस पार कभी, उस पार कभी। | ||
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Latest revision as of 08:25, 12 March 2012
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अर्ध सत्य तुम, अर्ध स्वप्न तुम, अर्ध निराशा-आशा |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |