निज़ाम शाह बहमनी: Difference between revisions
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'''निज़ाम शाह बहमनी''' ने 1461 से 1463 ई. तक राज्य किया। [[बहमनी सल्तनत]] का बारहवाँ सुल्तान निज़ामशाह बहमनी था। | |||
*1461 ई. में अपने पिता सुल्तान हुमायूं के उपरांत सिंहासनासीन होने के समय वह अल्पवयस्क था। | |||
*इसने अल्पायु में ही अपने पिता द्वारा स्थापित ‘प्रशासनिक परिषद’ के सहयोग से शासन किया। | *इसने अल्पायु में ही अपने पिता द्वारा स्थापित ‘प्रशासनिक परिषद’ के सहयोग से शासन किया। | ||
*इस परिषद में राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ', '[[महमूद गवाँ]]' एवं [[ख्वाजा जहान|ख़्वाजा जहाँ]] थे। | *इस परिषद में राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ', '[[महमूद गवाँ]]' एवं [[ख्वाजा जहान|ख़्वाजा जहाँ]] थे। | ||
*राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ' ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखी थी। | *राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ' ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखी थी। | ||
*सुल्तान की अल्प वयस्कता का | *सुल्तान की अल्प वयस्कता का फ़ायदा उठाकर, [[उड़ीसा]] के शासक 'कपिलेश्वर गजपति' ने र्दिक्षण की ओर से तथा [[मालवा]] के [[महमूद ख़िलजी]] ने उत्तर की ओर से आक्रमण किया, पर अन्ततः बहमनी सेनायें विजयी रहीं। | ||
*कालान्तर में उड़ीसा तथा [[ख़ानदेश]] की संयुक्त सेना के साथ मालवा के शासक महमूद ख़िलजी ने दक्कन पर आक्रमण कर [[बीदर]] को क़ब्ज़े में ले लिया। | *कालान्तर में उड़ीसा तथा [[ख़ानदेश]] की संयुक्त सेना के साथ मालवा के शासक महमूद ख़िलजी ने दक्कन पर आक्रमण कर [[बीदर]] को क़ब्ज़े में ले लिया। | ||
*अब सुल्तान के परिवार को [[फिरोजाबाद]] में शरण के लिए जाना पड़ा, परन्तु कूटनीतिज्ञ एवं महात्वाकांक्षी सरदार [[महमूद गवाँ]] ने [[गुजरात]] के सहयोग से मालवा के सुल्तान को परास्त किया। | *अब सुल्तान के परिवार को [[फिरोजाबाद]] में शरण के लिए जाना पड़ा, परन्तु कूटनीतिज्ञ एवं महात्वाकांक्षी सरदार [[महमूद गवाँ]] ने [[गुजरात]] के सहयोग से मालवा के सुल्तान को परास्त किया। | ||
*अचानक ही 1463 ई. में अल्पायु में ही सुलतान निज़ाम शाह बहमनी की मृत्यु हो गई। | *अचानक ही 1463 ई. में अल्पायु में ही सुलतान निज़ाम शाह बहमनी की मृत्यु हो गई। | ||
{{शासन क्रम |शीर्षक=[[बहमनी वंश]] |पूर्वाधिकारी=[[हुमायूँ शाह बहमनी]] |उत्तराधिकारी=[[मुहम्मद बहमनी शाह तृतीय]]}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
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Latest revision as of 10:48, 19 March 2012
निज़ाम शाह बहमनी ने 1461 से 1463 ई. तक राज्य किया। बहमनी सल्तनत का बारहवाँ सुल्तान निज़ामशाह बहमनी था।
- 1461 ई. में अपने पिता सुल्तान हुमायूं के उपरांत सिंहासनासीन होने के समय वह अल्पवयस्क था।
- इसने अल्पायु में ही अपने पिता द्वारा स्थापित ‘प्रशासनिक परिषद’ के सहयोग से शासन किया।
- इस परिषद में राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ', 'महमूद गवाँ' एवं ख़्वाजा जहाँ थे।
- राजमाता 'मकदूम-ए-जहाँ' ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में रखी थी।
- सुल्तान की अल्प वयस्कता का फ़ायदा उठाकर, उड़ीसा के शासक 'कपिलेश्वर गजपति' ने र्दिक्षण की ओर से तथा मालवा के महमूद ख़िलजी ने उत्तर की ओर से आक्रमण किया, पर अन्ततः बहमनी सेनायें विजयी रहीं।
- कालान्तर में उड़ीसा तथा ख़ानदेश की संयुक्त सेना के साथ मालवा के शासक महमूद ख़िलजी ने दक्कन पर आक्रमण कर बीदर को क़ब्ज़े में ले लिया।
- अब सुल्तान के परिवार को फिरोजाबाद में शरण के लिए जाना पड़ा, परन्तु कूटनीतिज्ञ एवं महात्वाकांक्षी सरदार महमूद गवाँ ने गुजरात के सहयोग से मालवा के सुल्तान को परास्त किया।
- अचानक ही 1463 ई. में अल्पायु में ही सुलतान निज़ाम शाह बहमनी की मृत्यु हो गई।
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