चौसा का युद्ध: Difference between revisions

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*हुमायूँ युद्ध क्षेत्र से भाग निकला और एक भिश्ती का सहारा लेकर किसी तरह गंगा नदी पार करके अपनी जान बचाई।
*जिस भिश्ती ने चौसा के युद्ध में हुमायूँ की जान बचाई थी, उसे हुमायूँ ने एक दिन के लिए [[दिल्ली]] का बादशाह बना दिया था।
*जिस भिश्ती ने चौसा के युद्ध में हुमायूँ की जान बचाई थी, उसे हुमायूँ ने एक दिन के लिए [[दिल्ली]] का बादशाह बना दिया था।
*चौसा के युद्ध में सफल होने के बाद शेर ख़ाँ ने अपने को '[[शेरशाह]]' नाम की उपाधि से सुसज्जित किया, साथ ही अपने नाम के खुतबे खुदवाये तथा सिक़्क़े ढलवाने का आदेश दिया।  
*चौसा के युद्ध में सफल होने के बाद शेर ख़ाँ ने अपने को '[[शेरशाह]]' नाम की उपाधि से सुसज्जित किया, साथ ही अपने नाम के खुतबे खुदवाये तथा सिक्के ढलवाने का आदेश दिया।  


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चौसा का युद्ध भारतीय इतिहास में लड़े गये महत्त्वपूर्ण युद्धों में से एक है। यह युद्ध 26 जून, 1539 ई. को मुग़ल बादशाह बाबर के पुत्र हुमायूँ एवं शेर ख़ाँ (शेरशाह) की सेनाओं के मध्य गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित 'चौसा' नामक स्थान पर लड़ा गया था।

  • चौसा का यह महत्त्वपूर्ण युद्ध हुमायूँ अपनी कुछ ग़लतियों के कारण हार गया।
  • युद्ध में मुग़ल सेना की काफ़ी तबाही हुई और उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ा।
  • हुमायूँ युद्ध क्षेत्र से भाग निकला और एक भिश्ती का सहारा लेकर किसी तरह गंगा नदी पार करके अपनी जान बचाई।
  • जिस भिश्ती ने चौसा के युद्ध में हुमायूँ की जान बचाई थी, उसे हुमायूँ ने एक दिन के लिए दिल्ली का बादशाह बना दिया था।
  • चौसा के युद्ध में सफल होने के बाद शेर ख़ाँ ने अपने को 'शेरशाह' नाम की उपाधि से सुसज्जित किया, साथ ही अपने नाम के खुतबे खुदवाये तथा सिक्के ढलवाने का आदेश दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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