कितनी रोटी -अशोक चक्रधर: Difference between revisions

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पहली रोटी
पहली रोटी
खाने के बाद
खाने के बाद
पेट खाली कहां रहा।
पेट ख़ाली कहां रहा।
गंगानाथ,
गंगानाथ,
यही तो मलाल है,
यही तो मलाल है,

Latest revision as of 12:28, 14 May 2013

कितनी रोटी -अशोक चक्रधर
कवि अशोक चक्रधर
देश भारत
पृष्ठ: 165
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
अशोक चक्रधर की रचनाएँ


गांव में अकाल था,
बुरा हाल था।
एक बुढ़ऊ ने समय बिताने को,
यों ही पूछा मन बहलाने को—
ख़ाली पेट पर
कितनी रोटी खा सकते हो
गंगानाथ ?

गंगानाथ बोला—
सात !

बुढ़ऊ बोला—
ग़लत !
बिलकुल ग़लत कहा,
पहली रोटी
खाने के बाद
पेट ख़ाली कहां रहा।
गंगानाथ,
यही तो मलाल है,
इस समय तो
सिर्फ़ एक रोटी का सवाल है।

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