अशाँत कस्बा -अनूप सेठी: Difference between revisions
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हर जाड़े में शिखर लेटेंगे | हर जाड़े में शिखर लेटेंगे | ||
बर्फ़ की चादरें ओढ़कर | |||
पेड़ गाढ़े हरे पत्तों को लपेटकर | पेड़ गाढ़े हरे पत्तों को लपेटकर | ||
बैठे रहेंगे घास पर गुमसुम | बैठे रहेंगे घास पर गुमसुम | ||
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पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | ||
सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | ||
अलसाए | अलसाए बाज़ार में टहलती रहेगी ज़िंदगी | ||
सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद | सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद | ||
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'''दो''' | '''दो''' | ||
ज़िले के | ज़िले के दफ़्तर नौकरियाँ बजाते रहेंगे | ||
कागजों पर आंकड़ों में खुशहाल होगा जिला | कागजों पर आंकड़ों में खुशहाल होगा जिला | ||
आस-पास के गाँवों से आकर | आस-पास के गाँवों से आकर | ||
कुछ लोग कचहरियों में बैठे रहेंगे दिनों दिन | कुछ लोग कचहरियों में बैठे रहेंगे दिनों दिन | ||
कुछ बजाजों से कपड़ा | कुछ बजाजों से कपड़ा ख़रीदेंगे | ||
लौटते हुए गोभी का फूल ले जाएँगे | लौटते हुए गोभी का फूल ले जाएँगे | ||
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कुछ बसों में बैठकर मोड़ों से ओझल हो जाएंगे | कुछ बसों में बैठकर मोड़ों से ओझल हो जाएंगे | ||
न भूलेंगे न लौट पाएंगे | न भूलेंगे न लौट पाएंगे | ||
धूल उड़ाते हुए | धूल उड़ाते हुए तक़रीबन हर कोई सीखेगा | ||
दाल भात खाके डकार लेना | दाल भात खाके डकार लेना | ||
सोना और मगन रहना | सोना और मगन रहना |
Latest revision as of 17:09, 30 December 2013
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एक |
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