अशाँत कस्बा -अनूप सेठी: Difference between revisions
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पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | ||
सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | ||
अलसाए | अलसाए बाज़ार में टहलती रहेगी ज़िंदगी | ||
सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद | सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद | ||
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आस-पास के गाँवों से आकर | आस-पास के गाँवों से आकर | ||
कुछ लोग कचहरियों में बैठे रहेंगे दिनों दिन | कुछ लोग कचहरियों में बैठे रहेंगे दिनों दिन | ||
कुछ बजाजों से कपड़ा | कुछ बजाजों से कपड़ा ख़रीदेंगे | ||
लौटते हुए गोभी का फूल ले जाएँगे | लौटते हुए गोभी का फूल ले जाएँगे | ||
Latest revision as of 17:09, 30 December 2013
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