अहसास का घर -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions

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मैंने मांगी दुआएँ, दुआएँ मिलीं,
मैंने मांगी दुआएँ, दुआएँ मिलीं,
उन दुआओं का मुझपे असर चाहिए।
उन दुआओं का मुझ पे असर चाहिए।


जिसमें रहकर सुकूं से गुजारा करूँ,  
जिसमें रहकर सुकूं से गुजारा करूँ,  
मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए।
मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए।


जिंदगी चाहिए मुझको मानी भरी,
ज़िंदगी चाहिए मुझको मान भरी,
चाहे कितनी भी हो मुख्तसर, चाहिए।
चाहे कितनी भी हो मुख़्तासर, चाहिए।


लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी,
लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी,
शानोशौकत का सामाँ मगर चाहिए।
शानोशौकत का समाँ मगर चाहिए।


जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े,
जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े,
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Latest revision as of 17:09, 30 December 2013

अहसास का घर -कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

हर सुबह को कोई दोपहर चाहिए,
मैं परिंदा हूं उड़ने को पर चाहिए।

मैंने मांगी दुआएँ, दुआएँ मिलीं,
उन दुआओं का मुझ पे असर चाहिए।

जिसमें रहकर सुकूं से गुजारा करूँ,
मुझको अहसास का ऐसा घर चाहिए।

ज़िंदगी चाहिए मुझको मान भरी,
चाहे कितनी भी हो मुख़्तासर, चाहिए।

लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी,
शानोशौकत का समाँ मगर चाहिए।

जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े,
तो कहीं एक तो चश्मेतर चाहिए।






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