विन्ध्येश्वरी माता की आरती: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(' <blockquote><span style="color: maroon"><poem> सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(9 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
 
[[चित्र:vindhyeshwary.jpg|विन्ध्येश्‍वरी माता|thumb|200px]]
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया॥ टेक॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया॥ टेक॥
Line 9: Line 9:
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया।
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया॥</poem></span></blockquote>
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया॥</poem></span></blockquote>
 
{{seealso|आरती संग्रह}}
{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
 
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]

Latest revision as of 12:17, 21 March 2014

विन्ध्येश्‍वरी माता|thumb|200px

सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया॥ टेक॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तरी भेंट चढ़ाया।
सुवा चोली तेरे अंग विराजे केसर तिलक लगाया।
नंगे पग अकबर आया सोने का छत्र चढ़ाया। सुन॥
उँचे उँचे पर्वत भयो दिवालो नीचे शहर बसाया।
कलियुग द्वापर त्रेता मध्ये कलियुग राज सबाया॥
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया॥

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख