परमाणु ऊर्जा विभाग: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (श्रेणी:योजना आयोग (को हटा दिया गया हैं।))
 
Line 64: Line 64:
[[Category:परमाणु ऊर्जा विभाग]]
[[Category:परमाणु ऊर्जा विभाग]]
[[Category:भारत सरकार]]
[[Category:भारत सरकार]]
[[Category:योजना आयोग]][[Category:भारत में परमाणु ऊर्जा]] [[Category:गणराज्य संरचना कोश]]  
[[Category:भारत में परमाणु ऊर्जा]] [[Category:गणराज्य संरचना कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 13:36, 19 August 2014

परमाणु ऊर्जा विभाग
स्थापना 3 अगस्त 1954
मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र
उद्देश्य परमाणु ऊर्जा विभाग की संकल्पना प्रौद्योगिकी, अधिक संपदा के सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता का जीवन स्तर उपलब्ध कराने के माध्यम से भारत को और शक्ति संपन्न बनाना है।
अन्य जानकारी इसकी स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के सीधे प्रभार के तहत दिनांक 3 अगस्त 1954 को की गई थी।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

परमाणु ऊर्जा विभाग (अंग्रेज़ी: Department of Atomic Energy, संक्षेप नाम: पऊवि अथवा DAE) भारत का एक महत्वपूर्ण विभाग है जो सीधे प्रधानमंत्री के आधीन रहता है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। परमाणु ऊर्जा तथा अनुसंधान आदि इस विभाग की जिम्मेदारी है। इसकी स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के सीधे प्रभार के तहत दिनांक 3 अगस्त 1954 को की गई थी। परमाणु ऊर्जा विभाग की संकल्पना प्रौद्योगिकी, अधिक संपदा के सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता का जीवन स्तर उपलब्ध कराने के माध्यम से भारत को और शक्ति संपन्न बनाना है। यह, भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर, नाभिकीय और विकिरण प्रौद्योगिकियों एवं उनके अनुप्रयोगों के विकास और विस्तार के माध्यम से अपने लोगों को पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन और बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में योगदान के द्वारा अर्जित किया जाना है।

उद्देश्य

परमाणु ऊर्जा विभाग नाभिकीय विद्युत/अनुसंधान रिएक्टरों के अभिकल्पन, निर्माण एवं प्रचालन तथा सहायक नाभिकीय ईंधन चक्र प्रौद्योगिकियों जिनमें नाभिकीय खनिजों का अन्वेषण, खनन एवं प्रसंस्करण, भारी पानी का उत्पादन, नाभिकीय ईंधन संविरचन, ईंधन पुनर्संस्करण तथा नाभिकीय अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं, के कार्य में लगा हुआ है। यह राष्ट्र की संपन्नता में योगदान देने वाली प्रगत प्रौद्योगिकियों का भी विकास कर रहा है। विभाग द्वारा विकसित की जा रही स्पिन ऑफ प्रौद्योगिकियों, मानव संसाधन तथा तकनीकी सेवाओं ने भारतीय उद्योग को बहुत बड़ी सहायता प्रदान की। विभाग बेहतर फसल किस्में, कीटों के नियंत्रण/उन्मूलन के लिए तकनीकें, जिनके माध्यम से फसल सुरक्षा हो रही है, फसल कटने के बाद के लिए विकिरण आधारित प्रौद्योगिकियों, रोगों विशेषकर कैंसर के निदान और चिकित्सा के लिए विकिरण आधारित प्रौद्योगिकियों, सुरक्षित पेयजल के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ-साथ बेहतर पर्यावरण और औद्योगिक प्रगति के कार्य में भी लगा हुआ है।

प्रमुख कार्यक्षेत्र

  1. स्वदेशी तथा अन्य प्रमाणित प्रौद्योगिकियों के विस्तार तथा साथ ही संबद्ध ईंधन चक्र सुविधाओं के साथ द्रुत प्रजनक रिएक्टरों एवं थोरियम रिएक्टरों के विकास के माध्यम से नाभिकीय विद्युत के योगदान को बढ़ाना।
  2. रेडियोआइसोटोपों के उत्पादन के लिए अनुसंधान रिएक्टरों का निर्माण और प्रचालन करना तथा चिकित्सा, कृषि एवं उद्योग के क्षेत्रों में विकिरण प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग करना।
  3. त्वरकों, लेजरों, सुपर कंप्यूटरों, प्रगत सामग्रियों और यंत्रीकरण का विकास करना तथा उद्योग क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के अंतरण को प्रोत्साहित करना।
  4. नाभिकीय ऊर्जा तथा विज्ञान के संबद्ध अग्रणी क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान करना, विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों के साथ आपसी व्यवहार करना, परमाणु ऊर्जा विभाग के कार्यक्रम से संबंधित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को सहायता देना और अनुसंधान के संबद्ध प्रगत क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहकार को बढ़ावा देना।
  5. राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान देना।
परमाणु ऊर्जा विभाग ने राष्ट्रीय पहलों में निम्नलिखित महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं-
  • कृषि : तिलहनों एवं दालों की पैदावार में वृद्धि
  • शिक्षा, स्वास्थ्य :
    • होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (एचबीएनआई)
    • अव-स्नातक विज्ञान पर राष्ट्रीय पहल (एनयूएस)
    • दूर चिकित्सा के माध्यम से कैंसर के क्षेत्र में राष्ट्रव्यापी सेवाएं
  • खाद्य एवं पौष्टिकता सुरक्षा : खाद्य एवं कृषि उत्पादों का विकिरण प्रसंस्करण
  • जल संसाधन : समुद्र तट के आसपास पेयजल की कमी वाले क्षेत्रों में विलवणीकरण
  • ऊर्जा सुरक्षा : निकट और दीर्घावधि में विद्युत आपूर्ति जिससे दीर्घावधि टिकाऊ विकास सुनिश्चित हो सके।

अनुसंधान और विकास क्षेत्र

  1. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
  2. इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र
  3. राजा रामन्ना सैंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च
  4. वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर
  5. परमाणु अन्वेषण और अनुसंधान के लिए खनिज निदेशालय



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख