|
|
(2 intermediate revisions by one other user not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| {{अकबर विषय सूची}}
| | #REDIRECT [[अकबर की राजपूत व धार्मिक नीति]] |
| {{सूचना बक्सा ऐतिहासिक शासक
| |
| |चित्र=Akbar.jpg
| |
| |चित्र का नाम=अकबर
| |
| |पूरा नाम=जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
| |
| |अन्य नाम=
| |
| |जन्म=15 अक्टूबर सन् 1542 (लगभग)<ref name="akbarnama">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=अकबरनामा |लेखक=शेख अबुल फजल |अनुवादक=डॉ. मथुरालाल शर्मा |आलोचक= |प्रकाशक=राधा पब्लिकेशन, नई दिल्ली |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=1 |url=|ISBN=}}</ref>
| |
| |जन्म भूमि=[[अमरकोट]], [[सिंध प्रांत|सिन्ध]] ([[पाकिस्तान]])
| |
| |पिता/माता=[[हुमायूँ]], मरियम मक़ानी
| |
| |पति/पत्नी=मरीयम-उज़्-ज़मानी (हरका बाई)
| |
| |संतान=[[जहाँगीर]] के अलावा 5 पुत्र 7 बेटियाँ
| |
| |उपाधि=जलाल-उद-दीन
| |
| |राज्य सीमा=उत्तर और मध्य भारत
| |
| |शासन काल=27 जनवरी, 1556 - 27 अक्टूबर, 1605
| |
| |शासन अवधि=49 वर्ष
| |
| |धार्मिक मान्यता=नया मज़हब बनाया [[दीन-ए-इलाही]]
| |
| |राज्याभिषेक=14 फ़रबरी 1556 कलानपुर के पास [[गुरदासपुर]]
| |
| |युद्ध=[[पानीपत]], [[हल्दीघाटी]]
| |
| |प्रसिद्धि=
| |
| |निर्माण=
| |
| |सुधार-परिवर्तन=[[जज़िया]] हटाया, [[राजपूत|राजपूतों]] से विवाह संबंध
| |
| |राजधानी= [[फ़तेहपुर सीकरी]] [[आगरा]], [[दिल्ली]]
| |
| |पूर्वाधिकारी=[[हुमायूँ]]
| |
| |उत्तराधिकारी=[[जहाँगीर]]
| |
| |राजघराना=[[मुग़ल]]
| |
| |वंश=[[तैमूर लंग|तैमूर]] और [[चंगेज़ ख़ाँ|चंगेज़ ख़ाँ]] का वंश
| |
| |मृत्यु तिथि=27 अक्टूबर सन् 1605 (उम्र 63 वर्ष)
| |
| |मृत्यु स्थान=[[फ़तेहपुर सीकरी]], आगरा
| |
| |स्मारक=
| |
| |मक़बरा=[[सिकंदरा आगरा|सिकन्दरा]], [[आगरा]]
| |
| |संबंधित लेख=[[मुग़ल काल]]
| |
| |शीर्षक 1=
| |
| |पाठ 1=
| |
| |शीर्षक 2=
| |
| |पाठ 2=
| |
| |अन्य जानकारी=
| |
| |बाहरी कड़ियाँ=
| |
| |अद्यतन=
| |
| }}
| |
| '''जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर''' [[भारत]] का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। [[अकबर]] को अकबर-ए-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अकबर प्रथम सम्राट था, जिसके धार्मिक विचारों में क्रमिक विकास दिखायी पड़ता है।
| |
| ==जज़िया कर की समाप्ति==
| |
| [[कछवाहा वंश|कछवाहा]] राजकुमारी से विवाह और राजपूतों की घनिष्ठता का असर होना ही था। साथ ही बीरबल भी पहुँच चुके थे। अकबर ने पिछले साल तीर्थ कर समाप्त कर दिया था। अब उसने एक और बड़ा क़दम उठाया और केवल हिन्दुओं पर जज़िया के नाम से जो कर लगता था, उसे अपने सारे राज्य में बन्द करवा दिया। यह कर पहले-पहल द्वितीय ख़लीफ़ा उमर ने अ-मुस्लिमों पर लगाया था, जो कि हैसियत के मुताबिक 48, 24 और 12 दिरहम<ref>दाम, दिरहम का ही अपभ्रंश है। मूलत: यह ग्रीक सिक्का द्राखमा था। द्राखमा और दिरहम [[चाँदी]] के सिक्के थे, जबकि दाम [[ताँबा|ताँबे]] का पैसा था, जो एक रुपये में 40 होता था। एक दाम में 315 से 325 ग्राम तक ताँबा होता था। अकबर के समय जज़िया में कितना दिरहम लिया जाता था, इसकी जानकारी नहीं है। [[मुहम्मद बिन कासिम]] ने 712 में [[सिंध]] को जीतते समय हिन्दुओं पर जज़िया लगाया था। [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] (1351-1388 ई.) ने 40, 42 और 10 टका जज़िया लगाया था। [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को जज़िया नहीं देना पड़ता था, लेकिन उसने उन पर भी 10 टका 50 जीतल कर लगाया। दिरहम में 48 ग्रेन [[चाँदी]] होती थी-रुपये में 180 ग्रेन के क़रीब चाँदी रहती थी। एक दाम में 25 जीतल माना जाता था, पर जीतल का कोई सिक्का नहीं था, यह केवल हिसाब के लिए प्रयोग होता था। फ़िरोज़शाह का चाँदी का सिक्का 175 ग्रेन का था। काणी चाँदी के जीतल को कहते थे, जो पौने तीन ग्रेन की होती थी। एक टका में 64 कणियाँ होती थीं, जैसे रुपये में [[ताँबा|ताँबे]] का पैसा। जान पड़ता है कि अकबर के समय चाँदी के टके की जगह पर चाँदी का रुपया जज़िया में लिया जाता था, क्योंकि [[शेरशाह]] ने प्राय: आजकल के ही वज़न का चाँदी का रुपया चला दिया था।</ref> सलाना होता था। जज़िया केवल बालिग पुरुषों से ही लिया जाता था। जिससे सल्तनत को भारी आमदनी प्राप्त होती थी, पर अकबर ने इस आमदनी की कोई परवाह नहीं की। वह समझता था कि इस प्रकार वह अपनी बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा के ह्रदय को जीत सकेगा। [[औरंगज़ेब]] ने 115 वर्ष के बाद राजा जसवन्त सिंह के मरने के बाद 1679 ई. में फिर जज़िया हिन्दुओं पर लगा दिया।
| |
| | |
| लोग समझते थे, अबुल फ़ज़ल के प्रभाव में आकर अकबर उदार बना, लेकिन तीर्थ कर और जज़िया को अबुल फ़ज़ल के दरबार में पहुँचने से दस साल पहले ही अकबर ने बन्द कर दिया था। 22 वर्ष की आयु में ही वह समझ गया था कि, शासन में [[हिन्दू]]-[[मुसलमान]] का भेद समाप्त करना होगा।
| |
| ==धर्मस्थलों के निर्माण की आज्ञा==
| |
| [[चित्र:An-Illustration-Of-The-Akbarnama.jpg|thumb|left|250px|[[अकबरनामा]] के अनुसार, सम्राट अकबर एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने दरबारियों को पशुओं के वध के लिए मना करते हुए]]
| |
| '''सम्राट अकबर ने सभी धर्म वालों को अपने''' मंदिर−देवालय आदि बनवाने की स्वतंत्रता प्रदान की थी। जिसके कारण [[ब्रज]] के विभिन्न स्थानों में पुराने पूजा−स्थलों का पुनरूद्धार किया गया और नये मंदिर−देवालयों को बनवाया गया था।
| |
| ==गो−वध पर रोक==
| |
| [[हिन्दू]] समुदाय में [[गौ]] को पवित्र माना जाता है। [[मुसलमान]] हिन्दुओं को आंतकित करने के लिए गौ−वध किया करते थे। अकबर ने गौ−वध बंद करने की आज्ञा देकर हिन्दू जनता के मन को जीत लिया था। शाही आज्ञा से गौ−हत्या के अपराध की सज़ा मृत्यु थी।
| |
| ==धार्मिक विद्वानों का सत्संग==
| |
| '''जिस समय अकबर ने अपनी राजधानी [[फ़तेहपुर सीकरी]]''' में स्थानान्तरित की, उस समय उसकी धार्मिक जिज्ञासा बड़ी प्रबल थी। उसने वहाँ राजकीय इमारतों के साथ ही साथ एक इबादतखाना (उपासना गृह) भी सन् 1575 में बनवाया था, जहाँ वह सभी धर्मों के विद्वानों के प्रवचन सुन उनसे विचार−विमर्श किया करता था। वह अपना अधिकांश समय धर्म−चर्चा में ही लगाता था। वह मुस्लिम धर्म के विद्वानों के साथ ही साथ [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[जैन]] और [[वैष्णव]] धर्माचार्यों के प्रवचन सुनता था और कभी−कभी उनमें शास्त्रार्थ भी कराता था। सन् 1576 से जनवरी, सन् 1579 तक लगभग 3 वर्ष तक वहाँ धार्मिक विचार−विमर्श का ज़ोर बढ़ता गया। उस समय के धर्माचार्य श्री विट्ठलनाथ जी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हीरविजय सूरि श्वेतांबर जैन धर्म के विद्वान आचार्य थे। अकबर ने [[दीन-ए-इलाही]] धर्म बनाया और चलाया।
| |
| ==ब्रजमंडल में अकबर==
| |
| [[दिल्ली]] के सुल्तानों के पश्चात [[मथुरा]] मंडल पर [[मुग़ल]] सम्राट का शासन हुआ था। उनमें सम्राट अकबर सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। उसने अपनी राजधानी दिल्ली के बजाय आगरा में रखी थी। आगरा [[ब्रजमंडल]] का प्रमुख नगर है; अत: राजकीय रीति−नीति का प्रभाव इस भूभाग पर पड़ा था। ये सम्राट अकबर की धार्मिक नीति थी, जिससे [[ब्रज]] के अन्य धर्मावलंबी प्रचुरता से लाभान्वित हुए थे। सम्राट अकबर से पहले [[ग्वालियर]] और [[बटेश्वर उत्तर प्रदेश|बटेश्वर]] ([[आगरा ज़िला|ज़िला आगरा]]) जैन धर्म के परंपरागत केन्द्र थे। अकबर के शासन काल में आगरा भी इस धर्म का प्रसिद्ध केन्द्र हो गया था। ग्वालियर और बटेश्वर का तो पहले से ही सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्त्व था, किंतु आगरा राजनीतिक कारण से जैनियों का केन्द्र बना। ब्रजमंडल के जैन धर्मावलंबियों में अधिक संख्या व्यापारी वैश्यों की थी। उनमें सबसे अधिक अग्रवाल, खंडेलवाल−ओसवाल आदि थे। [[मुग़ल साम्राज्य]] की राजधानी आगरा उस समय में व्यापार−वाणिज्य का भी बड़ा केन्द्र था, इसलिए वणिक वृत्ति के जैनियों का वहाँ बड़ी संख्या में एकत्र होना स्वाभाविक था।
| |
| ====अकबर का ब्रजमंडल में प्रभाव====
| |
| मुग़ल सम्राट अकबर की उदार धार्मिक नीति के फलस्वरूप ब्रजमंडल में [[वैष्णव धर्म]] के नये मंदिर−देवालय बनने लगे और पुरानों का जीर्णोंद्धार होने लगा, तब जैन धर्मावलंबियों में भी उत्साह का संचार हुआ था। [[गुजरात]] के विख्यात श्वेतांबराचार्य हीर विजय सूरि से सम्राट अकबर बड़े प्रभावित हुए थे। सम्राट ने उन्हें बड़े आदरपूर्वक सीकरी बुलाया, वे उनसे धर्मोपदेश सुना करते थे। इस कारण मथुरा−आगरा आदि ब्रज प्रदेश में बसे हुए जैनियों में आत्म गौरव का भाव जागृत हो गया था। वे लोग अपने मंदिरों के निर्माण अथवा जीर्णोद्धार के लिए प्रयत्नशील हो गये थे। आचार्य हीर विजय सूरि जी स्वयं मथुरा पधारे थे। उनकी यात्रा का वर्णन 'हीर सौभाग्य' काव्य के 14 वें सर्ग में हुआ था। उसमें लिखा है, सूरि जी ने मथुरा में विहार कर पार्श्वनाथ और जम्बू स्वामी के स्थलों तथा 527 स्तूपों की यात्रा की थी। सूरि जी के कुछ काल पश्चात सन् 1591 में कवि दयाकुशल ने जैन तीर्थों की यात्रा कर तीर्थमाला की रचना की थी। उसके 40 वें पद्य में उसने अपने उल्लास का इस प्रकार कथन किया है,−
| |
| | |
| <blockquote><poem>मथुरा देखिउ मन उल्लसइ । मनोहर थुंम जिहां पांचसइं ।।
| |
| गौतम जंबू प्रभवो साम । जिनवर प्रतिमा ठामोमाम ।।</poem></blockquote>
| |
| | |
| | |
| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक2 |पूर्णता= |शोध=}}
| |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
| |
| <references/>
| |
| ==संबंधित लेख==
| |
| {{मुग़ल साम्राज्य}}{{अकबर के नवरत्न}}{{मुग़ल काल}}{{सल्तनतकालीन प्रशासन}}
| |
| [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:मध्य काल]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
| |
| __INDEX__
| |
| __NOTOC__
| |