जो बड़ेन को लघु कहै -रहीम: Difference between revisions
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जो बड़ेन को लघु कहै, नहिं ‘रहीम’ घटि जाहिं ।<br /> | जो बड़ेन को लघु कहै, नहिं ‘रहीम’ घटि जाहिं ।<br /> | ||
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु | गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दु:ख मानत नाहिं ॥ | ||
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Latest revision as of 14:03, 2 June 2017
जो बड़ेन को लघु कहै, नहिं ‘रहीम’ घटि जाहिं ।
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दु:ख मानत नाहिं ॥
- अर्थ
बड़े को यदि कोई छोटा कह दे, तो उसका बड़प्पन कम नहीं हो जाता। गिरिधर श्रीकृष्ण 'मुरलीधर' कहने पर कहाँ बुरा मानते हैं ?
left|50px|link=जो घर ही में गुसि रहे -रहीम|पीछे जाएँ | रहीम के दोहे | right|50px|link=जो रहीम मन हाथ है -रहीम|आगे जाएँ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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