श्याम चालीसा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
(4 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:shyam k.jpg|thumb|300|कृष्ण<br />Krishna]]
[[चित्र:shyam k.jpg|thumb|300|[[कृष्ण]]<br />Krishna]]
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>
जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे |
जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे |
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे।
गल में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला |
गल में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट घट के हो अंतरयामी |
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट घट के हो अंतरयामी।
पदम नाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी |
पदम नाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दुख भाजे |
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दु:ख भाजे।
रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते |
रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा |
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा।
बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे |
बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे |
माखन मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे।
जय जय कार होत सब भारी, दुख बिसरत सारे नर नारी |
जय जय कार होत सब भारी, दु:ख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवाछिंत फल वो नर पाता |
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवाछिंत फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो, मधु मय अमृत वाणी तुम हो |
जन मन गण अधिनायक तुम हो, मधु मय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भंडार तुम्ही हो, सब ग्रथंन के सार तुम्ही हो |
विद्या के भंडार तुम्ही हो, सब ग्रथंन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो |
आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो, सूरत चांद सितारे तुम हो |
नील गगन की ज्योति तुम हो, सूरत चांद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण कण में तुमरा विस्तारा |
तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण कण में तुमरा विस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो |
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर |
तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर।
मन दृढ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे |
मन दृढ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन दुख जन के रखवारे |
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन दु:ख जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्च्य ही वो नर सुत पावें |
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्च्य ही वो नर सुत पावें।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी |
जय जय जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जन्म मरण सों मुक्ति दीजे, चरण शरण मुझको रख लीजे |
जन्म मरण सों मुक्ति दीजे, चरण शरण मुझको रख लीजे।
प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदारथ वो नर पावें |
प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदारथ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे |
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा |
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढि जन आवत जो द्रारे, मिटे कोढ भागत दुख सारे |
कोढि जन आवत जो द्रारे, मिटे कोढ भागत दु:ख सारे।
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे |
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी |
मैं मूरख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे |
एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं |
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं।
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे |
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे |
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढे श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई |
पढे श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता, अन धन से भंडार है भरता |
सात पाठ जो इसका करता, अन धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत पिशाच निकट नहिं आवे |
जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत पिशाच निकट नहिं आवे।
सहस्र बार जो इसको गावहि, निश्च्य वो नर मुक्ति पावहि |
सहस्र बार जो इसको गावहि, निश्च्य वो नर मुक्ति पावहि।
किसी रुप में तुमको ध्यावे, मन चीते फल वो नर पावे |
किसी रुप में तुमको ध्यावे, मन चीते फल वो नर पावे।
  नंद बसो हिरदय प्रभु मेरे, राखोलाज शरण मैं तेरे |
  नंद बसो हिरदय प्रभु मेरे, राखोलाज शरण मैं तेरे।
</poem></span></blockquote>
</poem></span></blockquote>
{{seealso|कृष्ण|आरती संग्रह}}


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==संबंधित लेख==
<references/>
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]][[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]

Latest revision as of 14:04, 2 June 2017

[[चित्र:shyam k.jpg|thumb|300|कृष्ण
Krishna]]

जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे।
गल में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट घट के हो अंतरयामी।
पदम नाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दु:ख भाजे।
रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा।
बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे।
माखन मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे।
जय जय कार होत सब भारी, दु:ख बिसरत सारे नर नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवाछिंत फल वो नर पाता।
जन मन गण अधिनायक तुम हो, मधु मय अमृत वाणी तुम हो।
विद्या के भंडार तुम्ही हो, सब ग्रथंन के सार तुम्ही हो।
आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो।
नील गगन की ज्योति तुम हो, सूरत चांद सितारे तुम हो।
तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण कण में तुमरा विस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।
तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर।
मन दृढ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे।
तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन दु:ख जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्च्य ही वो नर सुत पावें।
जय जय जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जन्म मरण सों मुक्ति दीजे, चरण शरण मुझको रख लीजे।
प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदारथ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्ही सहारे।
मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढि जन आवत जो द्रारे, मिटे कोढ भागत दु:ख सारे।
नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मूरख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी।
एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे।
जब जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं।
मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे।
पढे श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता, अन धन से भंडार है भरता।
जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत पिशाच निकट नहिं आवे।
सहस्र बार जो इसको गावहि, निश्च्य वो नर मुक्ति पावहि।
किसी रुप में तुमको ध्यावे, मन चीते फल वो नर पावे।
 नंद बसो हिरदय प्रभु मेरे, राखोलाज शरण मैं तेरे।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख