जहाँगीर मोहम्मद ख़ान: Difference between revisions

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====दाम्पत्य कटुता====
====दाम्पत्य कटुता====
जब जहाँगीर मोहम्मद ख़ान भोपाल का शासक बना तो उसने अपने मामा नवाब असद अली ख़ान को रियासत का [[दीवान]] नियुक्त कर दिया और अपने समर्थकों को बड़ी-बड़ी जागीरें देकर ऊँचे पदों पर बिठा दिया। उसकी बेगम सिकन्दर जहाँ के सलाहकार अलग थे। पहले पति-पत्नी के संबंध मधुर हुआ करते थे, किंतु बाद के समय में इनमें कटुता आ गई। ये कटुता इतनी अधिक बढ़ गई कि एक बार जहाँगीर मोहम्मद ख़ान ने सिकन्दर जहाँ का कत्ल करने की कोशिश भी की और उस पर तलवार से कई वार भी किये। इन सब घटनाओं के पश्चात सिकन्दर जहाँ बेगम एवं उसकी माँ कुदसिया बेगम भोपाल छोड़कर इस्लामनगर क़िले में रहने लगी थीं। यहीं पर सिकन्दर बेगम ने एक पुत्री शाहजहाँ बेगम को जन्म दिया। सिकन्दर बेगम अपनी माँ एवं बेटी के साथ 1844 ई. तक इस्लामनगर में रहीं।
जब जहाँगीर मोहम्मद ख़ान भोपाल का शासक बना तो उसने अपने मामा नवाब असद अली ख़ान को रियासत का [[दीवान]] नियुक्त कर दिया और अपने समर्थकों को बड़ी-बड़ी जागीरें देकर ऊँचे पदों पर बिठा दिया। उसकी बेगम सिकन्दर जहाँ के सलाहकार अलग थे। पहले पति-पत्नी के संबंध मधुर हुआ करते थे, किंतु बाद के समय में इनमें कटुता आ गई। ये कटुता इतनी अधिक बढ़ गई कि एक बार जहाँगीर मोहम्मद ख़ान ने सिकन्दर जहाँ का कत्ल करने की कोशिश भी की और उस पर तलवार से कई वार भी किये। इन सब घटनाओं के पश्चात् सिकन्दर जहाँ बेगम एवं उसकी माँ कुदसिया बेगम भोपाल छोड़कर इस्लामनगर क़िले में रहने लगी थीं। यहीं पर सिकन्दर बेगम ने एक पुत्री शाहजहाँ बेगम को जन्म दिया। सिकन्दर बेगम अपनी माँ एवं बेटी के साथ 1844 ई. तक इस्लामनगर में रहीं।
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जहाँगीर मोहम्मद ख़ान (1837-1844 ई.) 30 नवम्बर, 1837 ई. को भोपाल का शासक बना था। सिकन्दर जहाँ बेगम, जो बाद में भोपाल की शासिका बनी, उसके साथ जहाँगीर मोहम्मद का विवाह हुआ था। विवाह के बाद इन दोनों के आपस में कई मतभेद हो गये। इन्हीं मतभेदों के कारण सिकन्दर जहाँ बेगम ने भोपाल छोड़ दिया और जहाँगीर मोहम्मद ख़ान से अलग हो गई। शतरंज के खेल में जहाँगीर मोहम्मद ख़ान को महारथ हासिल थी।[1]

दाम्पत्य कटुता

जब जहाँगीर मोहम्मद ख़ान भोपाल का शासक बना तो उसने अपने मामा नवाब असद अली ख़ान को रियासत का दीवान नियुक्त कर दिया और अपने समर्थकों को बड़ी-बड़ी जागीरें देकर ऊँचे पदों पर बिठा दिया। उसकी बेगम सिकन्दर जहाँ के सलाहकार अलग थे। पहले पति-पत्नी के संबंध मधुर हुआ करते थे, किंतु बाद के समय में इनमें कटुता आ गई। ये कटुता इतनी अधिक बढ़ गई कि एक बार जहाँगीर मोहम्मद ख़ान ने सिकन्दर जहाँ का कत्ल करने की कोशिश भी की और उस पर तलवार से कई वार भी किये। इन सब घटनाओं के पश्चात् सिकन्दर जहाँ बेगम एवं उसकी माँ कुदसिया बेगम भोपाल छोड़कर इस्लामनगर क़िले में रहने लगी थीं। यहीं पर सिकन्दर बेगम ने एक पुत्री शाहजहाँ बेगम को जन्म दिया। सिकन्दर बेगम अपनी माँ एवं बेटी के साथ 1844 ई. तक इस्लामनगर में रहीं।

मृत्यु

सिकन्दर बेगम के परिचित अक्सर भोपाल नगर एवं महल में आते-जाते रहते थे। इन्हें लोगों से जहाँगीर मोहम्मद ख़ान को पुत्री पैदा होने की जानकारी मिली। इसके बाद वह कभी-कभी सिकन्दर जहाँ बेगम से मिलने आ जाता था। 9 दिसम्बर, 1844 ई. में ही जहाँगीर मोहम्मद ख़ान की मृत्यु हो गई।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 जहांगीर मोहम्मद खान (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 2 जून, 2012।

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