पहेली 12 फ़रवरी 2017: Difference between revisions
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{[[4 अप्रैल]], [[1919]] को [[दिल्ली]] की जामा मस्जिद के प्रवचन मंच से [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता पर भाषण किसने दिया था? | {[[4 अप्रैल]], [[1919]] को [[दिल्ली]] की [[जामा मस्जिद दिल्ली|जामा मस्जिद]] के प्रवचन मंच से [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता पर भाषण किसने दिया था? | ||
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-[[महात्मा गाँधी]] | -[[महात्मा गाँधी]] | ||
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-[[लाला लाजपत राय]] | -[[लाला लाजपत राय]] | ||
+[[स्वामी श्रद्धानन्द]] | +[[स्वामी श्रद्धानन्द]] | ||
||[[चित्र:Swami-Shraddhanand.jpg| | ||[[चित्र:Swami-Shraddhanand.jpg|100px|right|border|स्वामी श्रद्धानन्द]]'स्वामी श्रद्धानन्द' को [[भारत]] के प्रसिद्ध महापुरुषों में गिना जाता है। वे ऐसे महान् राष्ट्रभक्त सन्न्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। [[स्वामी श्रद्धानन्द]] ने स्वराज्य हासिल करने, देश को [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की दासता से छुटकारा दिलाने, दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य किए थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे 18वीं शती में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] और [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] के सर्वमान्य नेता थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए स्वामी जी ने जितने कार्य किए, उस वक्त शायद ही किसी ने अपनी जान जोखिम में डालकर किए हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी श्रद्धानन्द]] | ||
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राज्यों के सामान्य ज्ञान
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