राजी सेठ: Difference between revisions
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'''राजी सेठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: '''Raji Seth''') प्रसिद्ध [[हिंदी]] [[उपन्यासकार]] हैं। उनका कथा मानस आंतरिक भाव यंत्र या संवेदन तंत्र के ताने-बाने को पूरी जटिलता के साथ रेखांकित करता है। उनका दर्शन यथार्थ कलाऔर विचार का मनोवैज्ञानिक ढंग से संपुजन करता है। उनके शिल्प में भाषा, शैली, शब्द संगीत, तरह -तरह के कोलाज या पेंटिंग एक साथ उभरते हैं। मानव मन की कुशल चितेरी राजी सेठ का जन्म [[1935]] में छावनी नौशेरा ([[पाकिस्तान]]) में हुआ था। राजी विद्यार्थी तो रहीं [[अंग्रेज़ी साहित्य]] की, लेकिन साहित्य साधना के लिए उन्होंने चुना हिंदी को। लेखन भले ही उन्होंने देर से शुरू किया, पर कब वह हिंदी की माथे की बिंदी बन गईं, उन्हें खुद भी नहीं पता लगा। | '''राजी सेठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: '''Raji Seth''') प्रसिद्ध [[हिंदी]] [[उपन्यासकार]] हैं। उनका कथा मानस आंतरिक भाव यंत्र या संवेदन तंत्र के ताने-बाने को पूरी जटिलता के साथ रेखांकित करता है। उनका दर्शन यथार्थ कलाऔर विचार का मनोवैज्ञानिक ढंग से संपुजन करता है। उनके शिल्प में भाषा, शैली, शब्द संगीत, तरह -तरह के कोलाज या पेंटिंग एक साथ उभरते हैं। मानव मन की कुशल चितेरी राजी सेठ का जन्म [[1935]] में छावनी नौशेरा ([[पाकिस्तान]]) में हुआ था। राजी विद्यार्थी तो रहीं [[अंग्रेज़ी साहित्य]] की, लेकिन साहित्य साधना के लिए उन्होंने चुना हिंदी को। लेखन भले ही उन्होंने देर से शुरू किया, पर कब वह हिंदी की माथे की बिंदी बन गईं, उन्हें खुद भी नहीं पता लगा। | ||
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* 'यह कहानी नहीं' | * 'यह कहानी नहीं' | ||
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* अनंत गोपाल शेवडे हिंदी कथा पुरस्कार | * अनंत गोपाल शेवडे हिंदी कथा पुरस्कार |
Latest revision as of 11:17, 5 July 2017
thumb|राजी सेठ राजी सेठ (अंग्रेज़ी: Raji Seth) प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार हैं। उनका कथा मानस आंतरिक भाव यंत्र या संवेदन तंत्र के ताने-बाने को पूरी जटिलता के साथ रेखांकित करता है। उनका दर्शन यथार्थ कलाऔर विचार का मनोवैज्ञानिक ढंग से संपुजन करता है। उनके शिल्प में भाषा, शैली, शब्द संगीत, तरह -तरह के कोलाज या पेंटिंग एक साथ उभरते हैं। मानव मन की कुशल चितेरी राजी सेठ का जन्म 1935 में छावनी नौशेरा (पाकिस्तान) में हुआ था। राजी विद्यार्थी तो रहीं अंग्रेज़ी साहित्य की, लेकिन साहित्य साधना के लिए उन्होंने चुना हिंदी को। लेखन भले ही उन्होंने देर से शुरू किया, पर कब वह हिंदी की माथे की बिंदी बन गईं, उन्हें खुद भी नहीं पता लगा।
प्रमुख कृतियाँ
- उपन्यास
- 'निष्कवच'
- 'तत्सम'
- कहानी संग्रह
- 'अंधे मोड़ से आगे'
- 'तीसरी हथेली'
- 'दूसरे देशकाल में'
- 'यात्रा मुक्त'
- 'यह कहानी नहीं'
- 'ख़ाली लिफाफा'
सम्मान और पुरस्कार
- अनंत गोपाल शेवडे हिंदी कथा पुरस्कार
- हिंदी अकादमी सम्मान
- भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
- वाग्मणि सम्मान
- कथा साहित्य रचना पुरस्कार
- हिंदी निदेशालय द्वारा हिंदीतर भाषी लेखकीय पुरस्कार
- हिंदी प्रतिनिधि सम्मान
- संसद साहित्य परिषद सम्मान
- अक्षरम साहित्य सम्मान
- टैगोर लिटरेचर अवार्ड
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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