नथ: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:58, 7 November 2017
thumb|नथ पहने हुए महिला अंगूठी और मंगलसूत्र के बाद नथ हिंदू धर्म में तीसरा महत्त्वपूर्ण प्रतीक है जिसका प्रचलन मुसलमानों में भी है लेकिन अब सम्भवत: सभी धर्म में इसका प्रयोग होने लगा है। नथ के संबंध में कहा जाता है कि इसे कन्या को सात फेरे से पहले पहनाया जाता है। मुस्लिम में तो इसे अनिवार्य माना जाता है। नथ को किसी भी धार्मिक उत्सव पर सुहागन द्वारा धारण किया जाता है। इस प्रकार नथ के सबंध में पौराणिक मान्यता के अलावा कुछ वैज्ञानिक कारण भी है। इससे कन्या में खुशबु की क्षमता बढ़ती है। नथ का प्रचलन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर में देखा जाता है। जहाँ इसे कई नाम से जाना जाता है।[1]
विभिन्न नाम
- राजस्थान-
यहाँ की नथ कीमती पथर की बनी होती है जिसे भोरिया कहते हैं। दूसरा लंग जो क्लोभ के आकार का होता है तीसरा लटकन जो मोती का बना होता जिसे नाक के बीच में पहनती है।
- उत्तर प्रदेश-
यहाँ नथ को चुनी के नाम से जानते है जो सोने की बनी होती है और उसमें मोती भी लगे होते हैं।
- पंजाब-
यहाँ इसे बुलक्नाथ कहते है या लटकन मोमी भी कहते हैं। जो काफ़ी लंबी और अंडाकार होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नथ और हिंदू विवाह (हिंदी) साक्षी की कलम से (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 20 नवम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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