घोषणापत्र -कन्हैयालाल नंदन: Difference between revisions
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किसी नागवार गुज़रती | किसी नागवार गुज़रती चीज़ पर | ||
मेरा तड़प कर चौंक जाना, | मेरा तड़प कर चौंक जाना, | ||
उबल कर फट पड़ना | उबल कर फट पड़ना | ||
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जो यदा कदा बाहर आती हैं | जो यदा कदा बाहर आती हैं | ||
और | और | ||
ज़िंदगी अपनी पूरे ज़ोर से अंदर | |||
धड़क रही है- | धड़क रही है- | ||
यह सारे संसार को बताती हैं। | यह सारे संसार को बताती हैं। | ||
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मेरे ही अंदर क़द से लंबी होकर | मेरे ही अंदर क़द से लंबी होकर | ||
छिटकने लग जाती है | छिटकने लग जाती है | ||
और मेरी | और मेरी आवाज़ में | ||
कोई बिजली समाकर चिटकने लग जाती है | कोई बिजली समाकर चिटकने लग जाती है | ||
यह सब कुछ न पागलपन है, न उन्माद | यह सब कुछ न पागलपन है, न उन्माद | ||
Line 121: | Line 121: | ||
इसी तरह फूट कर बाहर आयेगा। | इसी तरह फूट कर बाहर आयेगा। | ||
ज़रूरी नहीं है, | |||
क़तई ज़रूरी नहीं है | |||
इसका सही ढंग से पढ़ा जाना, | इसका सही ढंग से पढ़ा जाना, | ||
जितना ज़रूरी है | जितना ज़रूरी है |
Latest revision as of 10:48, 2 January 2018
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किसी नागवार गुज़रती चीज़ पर |
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