जो रहीम गति दीप की -रहीम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('<div class="bgrahimdv"> रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।<br /> ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " गरीब" to " ग़रीब")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
<div class="bgrahimdv">
<div class="bgrahimdv">
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।<br />
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।<br />
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥
;अर्थ
;अर्थ
बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहाँ छोटे का काम होता है वहाँ बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती।
[[दीपक]] के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।


{{लेख क्रम3| पिछला=जे गरीब पर हित करैं -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम }}
{{लेख क्रम3| पिछला=जे ग़रीब पर हित करैं -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम }}
</div>
</div>



Latest revision as of 09:17, 12 April 2018

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥

अर्थ

दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।


left|50px|link=जे ग़रीब पर हित करैं -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम|आगे जाएँ


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख