बड़े दीन को दुःख सुने -रहीम: Difference between revisions

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बड़े लोग जब किसी गरीब का दुखड़ा सुनते हैं, तो उनके [[हृदय]] में दया उमड़ आती है । भगवान की कब जान पहचान थी (ग्राह से ग्रस्त) गजेन्द्र के साथ ?
बड़े लोग जब किसी ग़रीब का दुखड़ा सुनते हैं, तो उनके [[हृदय]] में दया उमड़ आती है । भगवान की कब जान पहचान थी (ग्राह से ग्रस्त) गजेन्द्र के साथ ?


{{लेख क्रम3| पिछला=बड़ माया को दोष यह -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=बड़े बड़ाई ना करैं -रहीम}}
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Latest revision as of 09:18, 12 April 2018

बड़े दीन को दुःख सुने, लेत दया उर आनि ।
हरि हाथी सों कब हुती, कहु ‘रहीम’ पहिचानि ॥

अर्थ

बड़े लोग जब किसी ग़रीब का दुखड़ा सुनते हैं, तो उनके हृदय में दया उमड़ आती है । भगवान की कब जान पहचान थी (ग्राह से ग्रस्त) गजेन्द्र के साथ ?


left|50px|link=बड़ माया को दोष यह -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=बड़े बड़ाई ना करैं -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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